अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझान पर कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 20,300-21,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं।
साप्ताहिक निर्यात बिक्री के बेहतर आँकड़ों और अधिक अमेरिकी आर्थिक प्रोत्साहन से कपास की माँग में बढ़ोतरी की उम्मीद से आईसीई में कॉटन की कीमतें अप्रैल 2019 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी हैं। डॉलर इंडेक्स के अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले ढ़ाई वर्षों के निचले स्तर पर पहुँच जाने से भी कीमतों को मदद मिली क्योंकि कपास अन्य मुद्राओं के धारकों के लिए सस्ता हो गया। घरेलू बाजार में निजी मिलों और स्टॉकिस्टों की ओर से लगातार माँग के कारण हाजिर बाजार में कपास की कीमतों में तेजी का रुझान हैं। घरेलू कीमतें अंतरराष्ट्रीय कपास के निर्यात आँकड़ों का बारीकी से अनुसरण कर रही हैं, जिसके कारण घरेलू बाजार में कपास की माँग में बढ़ोतरी हुई है।
चना वायदा की कीमतें लगातार तीसरे सप्ताह 4,650-4,850 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है, क्योंकि बढ़ते उत्पादन क्षेत्र के कारण कीमतों की बढ़त पर रोक लग रही है। नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि दलहन का कुल क्षेत्र 9% बढ़कर 131 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले वर्ष की तुलना में महाराष्ट्र, ओडिशा और झारखंड में अधिक बुवाई हुई है। चने की खेती में लगभग 13% की वृद्धि हुई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की ऊंची कीमतों से सकारात्मक संकेत लेते ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,100 रुपये तक तेजी जारी रह सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतें 6,450 रुपये के स्तर तक पहुँच सकती है। कारोबारियों ने अनुमान लगाया है कि अगर निर्यात की यही गति बरकरार रहती है तो आने वाले महीनों में ग्वारगम और इसके डेरिवेटिव का निर्यात 25,000-27,000 मीटिंक टन और 30,000 मीटिंक टन तक पहुँच जायेगा। (शेयर मंथन, 21 दिसंबर 2020)
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