सोयाबीन वायदा (फरवरी) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 4,450-4,650 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है।
इसका कारण यह है कि चार राज्यों-मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और केरल में बर्ड फ्लू के प्रकोप के कारण पोल्ट्री उद्योग की ओर से सोयाबीन की माँग कम हो सकती है। खाद्य तेल काउंटरों की तेजी पर रोक लगने की संभावना है और हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई मंदी की खबरें सामने आने के कारण अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी खबर है कि मलेशिया अपने बी 20 पॉम तेल बायोडीजल आदेश के देशव्यापी शुरुआत में देरी करेगा, जिसे 2022 के प्रारंभ में ही लागू किया जाना था लेकिन अब कोविड-19 महामारी से ग्रस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की प्राथमिकता है। इंडोनेशियाई पॉम ऑयल एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार की योजना बी 40 जनादेश को लागू करने की है, जिसके लिए घरेलू डीजल में 40% पॉम तेल के मिश्रण की आवश्यकता होगी, जिसे 2022 के अंत तक ही लागू किया जा सकता है। घरेलू बाजारों में इन खाद्य तेलों की जोरदार फिजिकल माँग अधिक कीमतों के कारण कम हो गयी है और कारोबारियों को कीमतों के कम होने का इंतजार है। हाल ही में, भारत के सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने कहा है कि बाजार वर्ष 2020-21 में भारत में पॉम तेल की खपत में 2% की कमी होने का अनुमान है। यह देखते हुये, सोया तेल वायदा (फरवरी) की कीमतें 1,190 रुपये से नीचे ही रह सकती है और सीपीओ वायदा (जनवरी) की कीमतों को 1,004 के पास बाधा का सामना करने की उम्मीद है।
आरएम सीड वायदा (फरवरी) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 6,000-6,200 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। इसका कारण यह है कि 74 लाख मीटिंक टन (कैरीओवर सहित) की कुल फसल में से केवल 4 लाख मीटिंक टन स्टॉक बचा है। (शेयर मंथन, 11 जनवरी 2021)
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