कॉटन वायदा (फरवरी) की कीमतों में तेजी का रुझान है और कीमतें 21,400-21,500 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने चालू फसल वर्ष में अपने खपत अनुमान को पिछले महीने के 330.00 लाख बेल के अनुमान पर बनाये रखा है। कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधनों के कारण पिछले सीजन की खपत 250 लाख बेल थी। अब 2020-21 सीजन के दौरान खपत के लॉकडाउन से पहले के स्तर 330 लाख बेल तक पहुँचने की उम्मीद है। सीएआई ने 2020-21 सीजन के लिए कपास निर्यात 54 लाख बेल होने का अनुमान लगाया है जबकि पिछले वर्ष 50 लाख बेल निर्यात होने का अनुमान है। कपास की कीमतें ढ़ाई वर्षो के उच्चतम स्तर के करीब पहुँच गयी, क्योंकि कपास की माँग और उत्पादन में कमी के कारण कीमतों को मदद मिली। अमेरिकी कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन के आँकड़ों के अनुसार सटोरियों ने 9 फरवरी को समाप्त में कुल लाँग पोजिशन को 12,867 कॉन्टैंक्ट बढ़ाकर 70,157 कॉन्टैंक्ट कर लिया है।
ग्वारसीड (मार्च) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 3,850-3,950 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (मार्च) में हर बढ़ोतरी के बाद बिकवाली का दबाव देखा जा सकता है और कीमतें नरमी के रुझान के साथ 6,150-6,250 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है । ट्रेडर्सऔर स्टॉकिस्ट आगे की माँग और मूल्य दिशा के बारे में स्पष्ट नही है। स्टॉकिस्ट पिछले वर्षों में जमा हुये अपने स्टॉक को निकाल रहे हैं। व्यापारी कच्चे तेल क्षेत्रा से ग्वारगम की माँग का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन ऐसी माँग अभी भी नहीं हुई है।
चना वायदा (मार्च) कीमतों के 4,720-4,790 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। रबी सीजन 2020-21 में कर्नाटक में मूल्य समर्थन योजना के तहत 1,67,000 टन चना की खरीद, महाराष्ट्र से 6,17,000 टन और तेलंगाना में 51,325 टन खरीद के लिए मंजूरी दी गयी है। (शेयर मंथन, 18 फरवरी 2021)
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