हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में तेजी बरकरार रहने की संभावना है और कीमतें 8,600-9,600 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है।
कोविड-19 महामारी के दौरान हल्दी की माँग में वृद्धि ने भारतीय किसानों को हाल के महीनों में कम उत्पादन के प्रभाव को कम करने में मदद की है। भारी बारिश के कारण उत्पादन में 25 क्विंटल प्रति एकड़ से 15 क्विंटल तक भारी गिरावट से बाजार चिंतित है। निजामाबाद में हल्दी की खेती लगभग 50,000 एकड़ में होती थी। लेकिन इस साल यह 36,000 एकड़ तक सिकुड़ गई, क्योंकि लगातार चार साल तक हो रही कम आय से किसानों को निराशा हुई। एंटीऑक्सिडेंट के रूप में हल्दी की खपत में वृद्धि को उन कारकों में से एक है जिसने कारण निर्यात और कीमतों में काफी वृद्धि में योगदान दिया। हाजिर बाजारों में कारोबारी बढ़ती कीमतों को बाधक नहीं मान रहे है क्योंकि स्थानीय खरीदारों, स्टॉकिस्टों या यहाँ तक कि निर्यातकों की ओर से माँग बरकरार है। वे मानते हैं कि होली और रमजान तक माँग बनी रहेगी है और कीमतें आसानी से बढ़ सकती हैं।
जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 13,500-14,500 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। व्यापारियों को स्थानीय स्टॉकिस्टों, मसाला मिलों और निर्यातकों की ओर से लगातार माँग की उम्मीद है। वे यह भी ध्यान दे रहे हैं कि कुल मिलाकर माँग की संभावना अच्छी है। राजकोट में ही, पिछले एक सप्ताह में जीरा की दरों में 85-95 रुपये प्रति 20 किलोग्राम की वृद्धि हुई है। बढ़ती आवक के बावजूद मजबूत त्योहारी माँग के बीच ऊंझा मंडी में हाजिर कीमतें स्थिर हैं।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में 6,700-6,600 रुपये तक गिरावट हो सकती है। घरेलू व्यापारियों द्वारा सावधानी बरतने के कारण धनिया की नयी कीमतों पर दबाव जारी है। बाजार दक्षिण भारतीय मिलों और निर्यातकों द्वारा की जा रही खरीद पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। स्टाकिस्टों द्वारा सुस्त खरीदारी के कारण भी कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 08 मार्च 2021)
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