कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 21,200-21,900 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
इस्लामाबाद द्वारा भारतीय आयात पर दो साल के प्रतिबंध को हटाने के प्रस्ताव को खारिज किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को लेकर सेंटीमेंट में खटास बढ़ी है।
ग्वारसीड वायदा (अप्रैल) की कीमतों में मंदी का रुझान बढ़ सकता है और कीमतें 3,600-3,500 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है। इसी तरह, ग्वारगम वायदा (अप्रैल) की कीमतों में 5,600-5,500 रुपये तक गिरावट हो सकती हैं। यह बताया गया है कि ग्वारगम मिलों को नयी खरीद में ज्यादा दिलचस्पी नहीं हो रही है क्योंकि निर्यात माँग नहीं बढ़ रही है। ग्वारगम, कोरमा और चूरी की मौजूदा कीमतें मिलों के लिए लाभदायक नहीं है, इसलिए कई मिलें पहले ही उत्पादन रोक चुके हैं। सस्ते पशु आहारों की मिलावट के कारण ग्वारगम की माँग में कमी है। इसलिए, हाजिर बाजार से आने वाले संकेतों से पता चलता है कि इन काउंटरों को वर्तमान परिदृश्य में समर्थन मिलने की संभावना नहीं है। दूसरे, ओपेक प्लस के तकनीकी विशेषज्ञों ने 2021 में तेल-माँग अनुमानों को संशोधित कर कम करने के लिए सहमति व्यत्तफ करने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार से संकेत उत्साहजनक नहीं हैं। ओपेक प्लस संयुक्त तकनीकी समिति का अब अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर तेल की माँग इस साल 5.6 मिलियन बैरल तक ही बढ़ पायेगी, जो पहले 5.9 मिलियन बैरल बढ़ोतरी का अनुमान था।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 5,000 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 5,000-5,150 रुपये के स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है। सेंटीमेंट काफी सकारात्मक हैं क्योंकि सरकार ने कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना की खरीद शुरू कर दी है। चना के सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश ने पिछले सप्ताह से खरीद अभियान शुरू किया है। राज्य में लगभग 1.45 मिलियन टन चना खरीदा जाएयेगा। राजस्थान में कल से चने की खरीद शुरू होगी। (शेयर मंथन, 05 अप्रैल 2021)
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