कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 21,000 रुपये के पास सहारा मिलने की उम्मीद है और यदि कीमतें 22,040 रुपये के स्तर को पार कर जाती है, तो जल्द ही यह 22,500 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती है।
कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा मौजूदा सीजन के अंत तक 60-70 लाख बेल निर्यात होने की उम्मीद के बयान के बाद कारोबारियों को अधिक निर्यात की संभावना है। साथ ही, बांग्लादेश को 10-12 लाख बेल कपास का निर्यात हो सकता है।
लंबे समय तक एक दायरे में स्थिर रहने और नरमी दर्ज करने के बाद, अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों से सकारात्मक संकेत लेते हुये ग्वारगम समूह ने अच्छी तेजी दिखाई है और लगभग एक महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी हैं। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने इस साल वैश्विक स्तर पर तेल माँग के लिए अपने पूर्वानुमान को बढ़ा दिया है। महामारी से उबर रही अर्थव्यवस्थाओं के कारण तेल की बढ़ी हुई माँग के पूर्वानुमान से ऐसा लगता है कि ग्वारसीड वायदा (मई) की कीमतों में 4,250-4,400 रुपये तक बढ़त जारी रह सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (मई) की कीमतों में 6,500-6,700 रुपये तक तेजी की उम्मीद है।
चना वायदा (मई) की कीमतें पिछले साल अक्टूबर में बने उच्च स्तर 5,670 रुपये को पार कर गयी है और अब इसके 6,000-6,300 रुपये के स्तर तक पहुँचने की संभावना है। कीमतों में तेजी का रुझान है और कीमतों में गिरावट पर खरीदारी की जा सकती है। सरकार ने मूल्य समर्थन योजना के तहत अप्रैल से शुरू होने वाले बाजार वर्ष 2021-22 में चना खरीद को बढ़ाकर 3.25 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखा है जो वार्षिक आधार पर लगभग 55% अधिक है। केंद्र का लक्ष्य महाराष्ट्र में 6,17,000 टन चना खरीदना है, जबकि पिछले साल 29,8,372 टन खरीदा था। राजस्थान में 587,155 टन के मुकाबले 6,14,900 टन, और उत्तर प्रदेश में सिर्फ 31,875 टन के मुकाबले 2,12,850 टन खरीदारी करनी है। (शेयर मंथन, 19 अप्रैल 2021)
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