बुवाई की धीमी गति और मिलों की ओर से अधिक माँग के कॉटन वायदा (जुलाई) की कीमतें तेजी का रुझान के साथ 25,000-25,100 रुपये के उच्च स्तर पर पहुँच सकती है।
कारोबारी घरेलू और विदेशों में भी बुवाई की प्रगति को करीब से देख रहे हैं। कपास की खेती 48 प्रतिशत घटकर 37.14 लाख हेक्टेयर (71.69 लाख हेक्टेयर) की तुलना में रह गयी है क्योंकि लगभग सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में बुवाई सुस्त रही है। आपू्र्ति को देखें तो, बाजार के सूत्रों के अनुसार, भारतीय कपास निगम के पास उत्तर भारत के राज्यों में लगभग 12 से 13 लाख बेल कपास का अधिकतम बचा हुआ स्टॉक है, जबकि मिलें पूरी क्षमता से चल रही हैं। मिलों को अगले डेढ़ से दो महीने की खपत के लिए कपास की आवश्यकता होती है क्योंकि माँग की तुलना में आवक कम होती है। इसलिए मिलों की ओर से कपास की माँग बनी रहेगी।
ग्वारसीड वायदा (जुलाई) की कीमतों को 4,040 रुपये के करीब सहारा के साथ 4,170-4,200 रुपये के उच्च स्तर पर पहुँचने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जुलाई) की कीमतों के 6,250-6,450 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। इसका कारण यह है कि अगले पाँच से छह दिनों के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून के राजस्थान के शेष हिस्सों में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं हैं, जिससे बुवाई की प्रगति धीमी हो सकती है। दूसरे, डब्ल्यूटीआई कच्चे तेल की कीमत 30 सितंबर, 2018 के बाद से सबसे अधिक हो गयी है। अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ तेल की कीमतों में अब तक पूरे वर्ष में तेजी दर्ज की गयी है, और अब तक कुल 56% की बढ़ोतरी हुई है।
केंद्र सरकार द्वारा मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए उठाये गये कदमों की खबरों के कारण चना वायदा (जुलाई) की कीमतों को 5,100-5,150 रुपये के स्तर पर रुकावट रहने की संभावना है। शुक्रवार को केंद्र ने निर्दिष्ट खाद्य पदार्थों (संशोधन) आदेश 2021 के तहत स्टॉक सीमा और आवाजाही पर प्रतिबंध लागू किया, जिसमें थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और दालों के आयातकों पर स्टॉक सीमा लागू की गयी है। आदेश के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 अक्टूबर तक मूंग को छोड़कर सभी दालों के लिए स्टॉक सीमा निर्धारित की गयी है। (शेयर मंथन, 05 जुलाई 2021)
Add comment