कारोबारियों की ओर से नयी खरीदारी के कारण हल्दी वायदा (नवंबर) की कीमतों में कल 1% की बढ़त दर्ज की गयी।
अब कीमतें 7,290 रुपये पर सहारा के साथ 7,165-7,500 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। त्योहारी माँग और आने वाले फसल कटाई के मौसम में अच्छे उत्पादन की उम्मीद के मिले-जुले फंडामेंटल के कारण फिलहाल कीमतें दोनों तरफ कारोबार कर रही हैं। इसके अलावा, भारी कैरीओवर स्टॉक और थोक माँग में कमी के कारण कीमतों पर दबाव बना हुआ है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 4 महीनों में, हल्दी का निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 26% घटकर 53,000 टन टन रह गया, लेकिन 5 साल के औसत लगभग बराबर है।
जीरा वायदा (नवंबर) की कीमतें एक दायरे में कारोबार कर रही है जबकि उच्च स्तरों से बिकवाली का दबाव दिख रहा है। अब कीमतों के 14,700 रुपये पर रुकावट के साथ 14,500 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। निर्यातकों की ओर से अच्छी माँग के बावजूद ऊँझा बाजार में कीमतें स्थिर हैं। साफ मौसम और तुलनात्मक रूप से अधिक कीमतों के कारण भौतिक बाजार में आवक बढ़ गयी है। व्यापारियों और किसानों के पास पर्याप्त स्टॉक के कारण कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। गुजरात में सितंबर की अच्छी बारिश से अगले साल बेहतर फसल की संभावनायें बढ़ी हैं। राजस्थन में बेमौसम बारिश के कारण आवक बाधित होने से धनिया वायदा (नवंबर) की कीमतों में कल 1.5% की बढ़त दर्ज की गयी। अब कीमतों के 7,950 रुपये पर सहारा और 8,100 रुपये पर अड़चन के साथ 7,900-8,200 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है।
कम कीमतों से अब धनिया की नई माँग बढ़ रही है, जबकि त्योहारी माँग और खरीफ फसल की सीमित आवक से कीमतों को मदद मिल सकती है। बाजार मूल्य समर्थन के लिए निर्यात माँग की भी तलाश कर रहा है। अप्रैल-जुलाई अवधि के दौरान धनिया का निर्यात 10% कम होकर पिछले वर्ष के 19,820 टन के मुकाबले 17,830 टन हुआ है लेकिन समान अवधि में 5 साल के औसत की तुलना में 17.7% अधिक है। (शेयर मंथन, 19 अक्टूबर 2021)
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