नयी खरीदारी के कारण हल्दी वायदा (दिसम्बर) की कीमतों में कल 0.8% की बढ़ोतरी हुई है और अब 7,500 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 7,750 रुपये तक बढ़ोतरी होने की संभावना है।
हाजिर बाजारों में कुछ खरीदारी देखी है और कीमतें 7,100 रुपये के स्तर से ऊपर स्थिर हैं और नरमी का रुझान सीमित है क्योंकि हल्दी का उत्पादन पहले की तुलना में कम हो सकता है। तेलंगाना में हल्दी का उत्पादन क्षेत्र कम होने की संभावना है। निर्यात से बेहतर माँग की उम्मीद से कीमतों को समर्थन मिल सकता है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त) में, हल्दी का निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 25% घटकर 64,600 टन टन रह गया, लेकिन 5 साल के औसत लगभग बराबर है।
जीरा वायदा (दिसम्बर) की कीमतों को 15,500 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ रहा है और कीमतें यदि इस स्तर को पार करती है तो 15,800 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती है। त्योहारी माँग अब धीमी हो रही है लेकिन निर्यात के लिए पूछताछ से कीमतों को मदद मिल रही है। इस वर्ष खराब मौसम के कारण सीरिया और तुर्की में जीरा का उत्पादन सीमित हुआ है जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ जाती है। लेकिन अप्रैल-अगस्त में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 12% घटकर 1.24 लाख टन रह गया है लेकिन आने वाले महीनों में इसमें बढ़ोतरी की उम्मीद है।
धनिया वायदा (दिसम्बर) में कल सपाट बंद हुई है और अब कीमतों के 8,210-8,400 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है। गुजरात और राजस्थान की मंडियों में लगातार माँग के बीच आवक बढ़ने की संभावना के कारण व्यापारी और स्टॉकिस्ट पुराने स्टॉक को बाजार में ला रहे हैं। अप्रैल-अगस्त की अवधि के दौरान निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 23,300 टन के मुकाबले 10% घटकर 21,000 टन रह गया है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 12.7% अधिक है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में देर से मानसून की बारिश आने वाले सीजन में धनिया के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोतरी होने की संभावना है। (शेयर मंथन, 03 नवंबर 2021)
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