निचले स्तर पर खरीदारी के कारण हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों में शुक्रवार को 2% की उछाल दर्ज की गयी है।
अब कीमतों के 7,390 रुपये के सहारा के साथ 7,750 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। स्टॉकिस्ट बाजारों में काफी सक्रिय है। निर्यात माँग बेहतर रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) में निर्यात पिछले साल के मुकाबले 26% घटकर 77,250 टन हो गया, लेकिन अभी भी 5 साल के औसत के बराबर है।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में शुक्रवार को 0.5% की बढ़ोतरी हुई है क्योंकि गुजरात और राजस्थान में जीरे की बुआई में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कीमतें 15,590 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 15,800 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। 29 नवंबर तक, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 1.71 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल इसी समय 3 लाख हेक्टेयर था जबकि राजस्थान में 3.20 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई है। घरेलू और निर्यात दोनों मोर्चे से माँग बढ़ी है और आगे भी बढ़ने की उम्मीद है। इस सीजन में सीरिया और तुर्की में खराब मौसम के कारण के कारण जीरा का उत्पादन कम हुआ है, जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ गयी है। फिर भी अप्रैल-सितंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 14% घटकर 1.39 लाख टन रह गया है, लेकिन आगामी महीनों में इसमें सुधार की उम्मीद है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतें शुक्रवार को लगातार 8वें दिन गिरावट के साथ बंद हुई। अब कीमतें 8,560 रुपये के स्तर पर रुकावट और 8,240 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ एक दायरे में कारोबार कर सकती है। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में धनिया की बुआई प्रगति पर है। अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 28,000 टन की तुलना में 12.7% घटकर 24,500 टन रह गया है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में देर से हुई मानसूनी बारिश से आने वाले सीजन में धनिया की फसल का अच्छा रकबा देखने को मिलेगा। (शेयर मंथन, 06 दिसंबर 2021)
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