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हल्दी में गिरावट, जीरे की कीमतों में 18,700-19,950 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना - एसएमसी साप्ताहिक रिपोर्ट

हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देख गया और यह लगातार तीसरे सप्ताह गिरावट के साथ बंद हुई।

पिछले सप्ताह कीमतें 4 सप्ताह के निचले स्तर पर पहुँचने के बाद फिर से रिकवर हो गयी। अब कीमतों के 9,700 रुपये पर सहारा के साथ 10,700 रुपये की ओर बढ़ने की संभावना है। बाजार सूत्रों के अनुसार, निर्यात माँग में सुधार हो रहा है जिससे कीमतों को मदद मिल रही है। वर्तमान समय में, देश के कम उत्पादन अनुमान और आगामी सीजन में अध्कि माँग की संभावना के कारण कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 57% अधिक हैं। नये सीजन की हल्दी बाजार में आ रही है और सीजन के बढ़ने के साथ इसके बढ़ने की उम्मीद है। अब मौसम साफ हो गया है लेकिन दिसंबर-जनवरी में गीले मौसम के कारण आवक में दो से तीन सप्ताह की देरी हो गयी है। कर्नाटक में उत्पादन लगभग 20%-25% कम हो सकता है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 8 महीनों (अप्रैल-नवम्बर) में, पिछले साल के मुकाबले 22% घटकर 1,02,126 टन निर्यात हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 7.2% अधिक है।
जीरा वायदा (मार्च) की कीमतों में लगातार 5 वें हफ्ते तेजी के साथ 3 साल के उच्च स्तर पर पहुँच गयी और इसके बाद कुछ नरमी के संकेत मिले। अब कीमतें 18,700-19,950 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। पिछले एक महीने में कीमतों में बढ़ोतरी के कारण आवक में वृद्धि हुई है। कम उत्पादन के अनुमान के बीच घरेलू और विदेशी खरीदारों की ओर से मजबूत माँग के कारण बाजार सेंटीमेंट को मदद मिल रही है। बुआई क्षेत्र में गिरावट और घरेलू माँग में सुधार की खबरों के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 43% अधिक हैं। 2021-22 में, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.07 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.69 लाख हेक्टेयर था और दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार उत्पादन पिछले वर्ष के 4 लाख टन की तुलना में 41% घटकर 2.37 लाख टन होने की उम्मीद है। राजस्थान में भी रकबे में लगभग 30% की गिरावट आयी है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-नवम्बर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 20% घटकर 1.61 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 2.02 लाख टन हुआ था।
धनिया वायदा (अप्रैल) की की कीमतें 7 साल के उच्च स्तर पर कारोबार कर रही हैं और पिछले सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुई हैं। कीमतों के 9,800 रुपये पर सहारा के साथ 10,600 रुपये तक बढ़ने की संभावना है। सामान्य की तुलना में कम रकबे के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 65.5 अधिक और जनवरी 2022 में 16.5% अधिक हैं, जबकि बाजार उत्तर भारत में शीत लहर के कारण उत्पादन में कमी की उम्मीद कर रहा है। गुजरात में 24 जनवरी को धनिया का रकबा 1,25,444 हेक्टेयर है जो सामान्य क्षेत्र की तुलना में 145% है लेकिन पिछले साल के 1,41,004 हेक्टेयर से कम है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-नवम्बर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 37,765 टन से 13% घटकर 32,900 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 10% अधिक है। (शेयर मंथन, 31 जनवरी 2022)

 

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