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हल्दी और धनिया की कीमतों में गिरावट की उम्मीद - एसएमसी साप्ताहिक रिपोर्ट

हल्दी की माँग में बढ़ोतरी के कारण हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में पिछले सप्ताह कुछ बढ़त दर्ज की गयी जबकि मौजूदा मौसम में आवक धीमी है।

इस हफ्ते कीमतों में गिरावट होने की संभावना है। यदि कीमतें 9,050 रुपये के स्तर से नीचे टूटती है तो 8,660 गिरावट हो सकती है। कीमतों को 10,450 रुपये पर अहम बाधा रह सकता है। ऐसी खबरें हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थितियों के कारण आने वाले हफ्तों में यूरोपीय देशों को निर्यात प्रभावित हो सकता है। वर्तमान में, कीमतें पिछले साल के मौजूदा समय के बराबर है क्योंकि नये सीजन की हल्दी बाजार में आ रही है और इस सीजन में निर्यात सामान्य है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 9 महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में, निर्यात पिछले साल की तुलना में 20.7% घटकर 1,16,400 टन हो गया, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 8.8% अधिक है।
लगातार आठ सप्ताह तक उच्च स्तर पर कारोबार करने के बाद जीरा वायदा (मार्च) की कीमतों में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट हुई है। उच्च स्तर पर मुनाफावसूली हुई है क्योंकि युद्ध जैसी स्थिति के कारण निर्यात माँग प्रभावित हो सकती है। इस सप्ताह कीमतों में 19,700 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है क्योंकि नये सीजन का जीरा भी बाजार में आ जायेगा और अगले एक महीने में अधिकतम आवक शुरू हो जायेगी। ऊँझा में पुरानी और नयी फसल की आवक पिछले सप्ताह 10,000 रुपये से कम बोरी की तुलना में प्रतिदिन लगभग 14,000-15,000 बोरी (1बोरी=55 किलोग्राम) हो गयी है। नये साल में, जीरा की कीमतों में 30% से अधिक की वृद्धि हुई है और वर्तमान में गुजरात और राजस्थान राज्य में कम बुआई क्षेत्र और अत्यधिक ओस के कारण फसल नुकसान के कारण कम उत्पादन की खबरों पर कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 52% अधिक हैं। 2021-22 में, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.07 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.69 लाख हेक्टेयर था और दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार उत्पादन पिछले वर्ष के 4 लाख टन की तुलना में 41% घटकर 2.37 लाख टन होने की उम्मीद है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-दिसम्बर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 24% घटकर 1.74 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 2.30 लाख टन हुआ था।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में पिछले सप्ताह गिरावट के बाद अच्छी रिकवरी हुई है। कीमतों को 11,300 रुपये के स्तर पर अच्छा बाधा दिखाई दे रहा है जो धनिया का अब तक का उच्च स्तर है जबकि सहारा 10,700 रुपये के स्तर पर देखा जा रहा है। सामान्य की तुलना में कम रकबे के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 54% अधिक और जनवरी के बाद से 25% अधिक हैं, क्योंकि किसान पिछले साल कम आमदनी के कारण अन्य फसलों में स्थानांतरित हो गये हैं और कम उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं जबकि अधिक कीमतों के कारण निर्यात सामान्य है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-नवम्बर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 43,100 टन से 13% घटकर 37,500 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 07 मार्च 2022)

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