चना वायदा (जुलाई) की कीमतें 3,550 रुपये के स्तर को पार करने पर 3,560-3,630 रुपये तक ऊपर जा सकती है।
मौजूदा खरीफ सीजन में दालों का उत्पादन क्षेत्र कम होने के कारण कुल मिलाकर मजबूती का सेंटीमेंट बना रह सकता है। पिछले हफ्ते जारी कृषि मंत्रालय के नवीनतम आँकडों के अनुसार 14 जून तक खरीफ दालों का कुल उत्पादन क्षेत्र पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में कम है। यद्यपि तूर दालों का उत्पादन क्षेत्र पिछले वर्ष के 0.46 लाख हेक्टेयर की तुलना में 13% बढ़ कर 0.52 लाख हेक्टेयर हो गया है, लेकिन अन्य दालों के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट हुई है।
कॉटन वायदा (जुलाई) की कीमतों में अस्थिरता रह सकती है और कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 22,120-22,590 रुपये के दायरे में साइडवेज रहने की संभावना है। विश्व में कपास के सबसे बड़े निर्यातक अमेरिका और सबसे बड़े आयातक चीन के बीच व्यापार युद्ध के तनाव के कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव होते रहने की उम्मीद है। अमेरिका के सबसे बड़े कपास उत्पादक क्षेत्र टेक्सास में भारी बारिश के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतों को झटके लग रहे हैं। मौजूदा सीजन में कपास की फसल के लिए अनुकूल स्थिति नही हैं क्योंकि पहले की सूखे की स्थिति के बाद अब अत्यधिक बारिश जैसे हालात बन गये हैं।
ग्वारसीड वायदा (जुलाई) की कीमतों में 3,350 रुपये तक नरमी के रुझान के साथ कारोबार होने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जुलाई) की कीमतों में 7,400 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। कुल मिलाकर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और देश भर में लगभग 70-80 लाख बैग के भारी भरकम स्टॉक के तथ्य के कारण कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। (शेयर मंथन, 25 जून 2018)
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