कॉटन वायदा (अक्टूबर) कीमतों में गिरावट पर रोक लग सकती है और कीमतों को 22,210 रुपये के स्तर पर सहारा मिल सकता है।
गुजरात और राजस्थान की मंडियों में फसल आवक में देरी के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार भारत में कपास का उत्पादन 28.7 मिलियन बेल होने का अनुमान है, जो 2017-18 की तुलना में 1% कम है, क्योंकि उत्पादन क्षेत्रों में भी इतनी की ही कमी दर्ज की गयी है और उत्पादकता के 2017-18 के लगभग बराबर रहने की संभावना है। 2018-19 में भारत में कपास का उत्पादन क्षेत्रों 12.3 मिलियन हेक्टेयर रहने का अनुमान है, जबकि औसत उत्पादकता 508 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है। इसी अवधि में भारत में कपास की खपत 25.5 मिलियन बेल होने का अनुमान है, जो 2017-18 की तुलना में 3% अधिक है।
ग्वारसीड वायदा (नवंबर) की कीमतों में 4,685 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है। पिछले वर्ष की तुलना में कम उत्पादन अनुमान के कारण कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद से स्टॉकिस्टों द्वारा अच्छी क्वालिटी की खरीदारी के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। खराब मौसम के कारण उत्पादन में लगातार दूसरे वर्ष कमी के कारण 2018-19 सीजन में ग्वारसीड का स्टॉक कई वर्षो के निचले स्तर पर पहुँच गया है।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतों को 4,170 रुपये के स्तर पर बाधा रह़ सकती है। चना दाल और बेसन की सीमित बिक्री के कारण मिलों की ओर से कम खरीदारी होने से हाजिर बाजारों में नरमी का सेंटीमेंट है। इसके अतिरिक्त नाफेड मौजूदा कीमतों पर अपना स्टॉक बेच रहा है, इस कारण मिलें खरीदारी को लेकर सतर्क हैं। नाफेड के पास पर्याप्त उपलब्धता को देखते हुये मिलें स्टॉक जमा करने के लिए खरीदारी नही कर रही हैं। (शेयर मंथन, 19 अक्टूबर 2018)
ग्वारसीड वायदा (नवंबर) की कीमतों में 4,685 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है। पिछले वर्ष की तुलना में कम उत्पादन अनुमान के कारण कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद से स्टॉकिस्टों द्वारा अच्छी क्वालिटी की खरीदारी के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। खराब मौसम के कारण उत्पादन में लगातार दूसरे वर्ष कमी के कारण 2018-19 सीजन में ग्वारसीड का स्टॉक कई वर्षो के निचले स्तर पर पहुँच गया है।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतों को 4,170 रुपये के स्तर पर बाधा रह़ सकती है। चना दाल और बेसन की सीमित बिक्री के कारण मिलों की ओर से कम खरीदारी होने से हाजिर बाजारों में नरमी का सेंटीमेंट है। इसके अतिरिक्त नाफेड मौजूदा कीमतों पर अपना स्टॉक बेच रहा है, इस कारण मिलें खरीदारी को लेकर सतर्क हैं। नाफेड के पास पर्याप्त उपलब्धता को देखते हुये मिलें स्टॉक जमा करने के लिए खरीदारी नही कर रही हैं। (शेयर मंथन, 19 अक्टूबर 2018)
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