अंतरराष्ट्रीय बाजार में नरमी के रुझान के कारण कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 22,350 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
अमेरिका द्वारा कपास के अपने निर्यात अनुमान में कमी किये जाने के कारण आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतें 76.50 डॉलर के सहारा स्तर से नीचे टूट गयी है। प्रमुख उपभोक्ता चीन ने अमेरिकी कपास का आयात करना बंद कर दिया है और अगले बाजार वर्ष में भी आयात जारी रखने का कोई वादा नही किया है।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में तेजी का रुझान रहने की संभावना है और कीमतों को 4,735-4,675 रुपये नजदीक सहारा रह सकती हैं। कारोबारियों, स्टॉकिस्टों और पेराई मिलों की ओर से अधिक माँग के कारण ग्वारसीड और ग्वारगम की हाजिर कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कारोबारियों, स्टॉकिस्टों और पेराई मिलों को उम्मीद है कि कीमतें 5,000 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। इसलिए अधिक मुनाफे की उम्मीद से स्टॉकिस्ट अधिक मात्रा में ग्वारसीड की खरीदारी कर रहे हैं।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 4,550-4,500 रुपये के नजदीक सहारा के साथ तेजी का रुझान रहने की संभावना है। कृषि मंत्रालय के अनुसार किसानों ने अभी तक पूरे देश में 2.71 मिलियन हेक्टेयर में चना की बुआई की है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 32.9% कम है। चना की बुआई समान अवधी में पाँच वर्षो के औसत 2.83 मिलियन हेक्टेयर से भी कम है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश कर्नाटक और राजस्थान में अभी तक चना की बुआई संतोषजनक नही है और पिछले वर्ष की समान अवधि के औसत बुआई क्षेत्रों से कम हुई है। (शेयर मंथन, 13 नवंबर 2018)
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में तेजी का रुझान रहने की संभावना है और कीमतों को 4,735-4,675 रुपये नजदीक सहारा रह सकती हैं। कारोबारियों, स्टॉकिस्टों और पेराई मिलों की ओर से अधिक माँग के कारण ग्वारसीड और ग्वारगम की हाजिर कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कारोबारियों, स्टॉकिस्टों और पेराई मिलों को उम्मीद है कि कीमतें 5,000 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। इसलिए अधिक मुनाफे की उम्मीद से स्टॉकिस्ट अधिक मात्रा में ग्वारसीड की खरीदारी कर रहे हैं।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 4,550-4,500 रुपये के नजदीक सहारा के साथ तेजी का रुझान रहने की संभावना है। कृषि मंत्रालय के अनुसार किसानों ने अभी तक पूरे देश में 2.71 मिलियन हेक्टेयर में चना की बुआई की है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 32.9% कम है। चना की बुआई समान अवधी में पाँच वर्षो के औसत 2.83 मिलियन हेक्टेयर से भी कम है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश कर्नाटक और राजस्थान में अभी तक चना की बुआई संतोषजनक नही है और पिछले वर्ष की समान अवधि के औसत बुआई क्षेत्रों से कम हुई है। (शेयर मंथन, 13 नवंबर 2018)
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