हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 6,535-6,700 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में रहने की संभावना है।
हाजिर बाजारों में हल्दी की बिक्री अच्छी हुई है, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई। रेगुलेटेड मार्केट कमिटी में फिंगर वेरायटी की कीमतों में 300 रुपये प्रति क्विंटल और इरोद टर्मरिक मर्चेन्ट्स एसोसिएशन सेल्स यार्ड में 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। इरोद को-ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसाइटी में फिंगर वेरायटी की कीमतों में 800 रुपये प्रति क्विंटल और रूट वेरायटी की कीमतों में 350 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में यदि 19,860 रुपये से नीचे कारोबार होता है तो कीमतें 19,390 रुपये तक लुढ़क सकती है। त्योहारी सीजन के अंत के कारण कीमतों में तेजी के बरकरार रहने की संभावना नहीं है। घरेलू बाजार में माँग कम हुई है। गुजरात के ऊंझा में जीरे की कीमतों में 50 रुपये 20 किलो ग्राम की गिरावट हुई है, जबकि गुजरात के अन्य बाजारों में 25-50 रुपये प्रति 20 किलो ग्राम की गिरावट हुई है। राजस्थान के बाजारों में कीमतों में 100-200 रुपये 100 किल ग्राम की गिरावट हुई है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 6,335 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ बढ़त जारी रह सकती हैं। बढ़ती माँग के कारण देश के प्रमुख बाजारों में धनिया की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कम मॉनसून के कारण किसान धनिया की बुआई से दूरी बनाये हुए हैं। इसलिए गुजरात में सूखे की स्थिति के कारण अभी तक बुआई में 40-50% कमी देखी जा रही है, जबकि मध्य प्रदेश बड़े स्तर पर बुआई अभी शुरू नही हुई है। (शेयर मंथन, 15 नवंबर 2018)
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में यदि 19,860 रुपये से नीचे कारोबार होता है तो कीमतें 19,390 रुपये तक लुढ़क सकती है। त्योहारी सीजन के अंत के कारण कीमतों में तेजी के बरकरार रहने की संभावना नहीं है। घरेलू बाजार में माँग कम हुई है। गुजरात के ऊंझा में जीरे की कीमतों में 50 रुपये 20 किलो ग्राम की गिरावट हुई है, जबकि गुजरात के अन्य बाजारों में 25-50 रुपये प्रति 20 किलो ग्राम की गिरावट हुई है। राजस्थान के बाजारों में कीमतों में 100-200 रुपये 100 किल ग्राम की गिरावट हुई है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 6,335 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ बढ़त जारी रह सकती हैं। बढ़ती माँग के कारण देश के प्रमुख बाजारों में धनिया की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कम मॉनसून के कारण किसान धनिया की बुआई से दूरी बनाये हुए हैं। इसलिए गुजरात में सूखे की स्थिति के कारण अभी तक बुआई में 40-50% कमी देखी जा रही है, जबकि मध्य प्रदेश बड़े स्तर पर बुआई अभी शुरू नही हुई है। (शेयर मंथन, 15 नवंबर 2018)
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