अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नरमी के रुझान पर सोयाबीन वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 4,300-4,250 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है।
भारतीय तेल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा कच्चे पॉम तेल पर आयात शुल्क में 10% की कटौती की घोषणा के बाद सोयाबीन की कीमतों में दबाव आया। भारत द्वारा कुल खाद्य तेल आयात में 60% पॉम तेल होता है। कीमतों में हाल ही में तेज वृद्धि से खाद्य महँगाई बढ़ने का खतरा काफी बढ़ गया है।
आरएम सीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 5,700 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। जयपुर सहित सभी उत्पादक राज्यों के हाजिर बाजारों में सरसों, सरसों तेल और सरसों केक की कीमतों में गिरावट हुई है। आयात शुल्क में कटौती के द्वारा सरकार के हस्तक्षेप के बाद बाजार के सेंटीमेंट पर दबाव पड़ा। जयपुर में सरसों की कीमतें 70 रुपये की गिरावट के साथ 6,050-6,055 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी है। व्यापारियों के अनुसार, खरीदार मौजूदा दरों पर नयी खरीद करने में संकोच कर रहे थे। जयपुर में सरसों की कीमतें कम होकर 1,206-1,207 रुपये और अन्य क्षेत्रों में 1,196-1,197 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी है। मिलें भी पीछे हट गयी हैं क्योंकि तेल की कीमतों से सरसों की कीमतों को मदद नही मिल रही है।
सीपीओ वायदा (दिसंबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 860-850 रुपये के स्तर पर लुढ़कने की संभावना है, जबकि सोया तेल वायदा (दिसंबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 1,030-1,025 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। भारतीय वित्त मंत्रालय ने कच्चे पॉम तेल पर आयात शुल्क में 10% की कटौती करके 27.5% कर दिया है। बाजार सूत्रों का अनुमान है कि दिसंबर में भारत में पॉम तेल का आयात 5,50,000-6,00,000 टन के पूर्व अनुमानों की तुलना में बढ़कर लगभग 7,00,000-7,30,000 टन हो सकता है। नवंबर में निर्यात कम होने की आशंका से गुरुवार को मलेशियाई पॉम तेल वायदा की कीमतों में 1.4% की गिरावट हुई है लेकिन आपूर्ति को लेकर चिंता के कारण गिरावट सीमित रही। इंटरटेक टेस्टिंग सर्विसेज के आँकड़ों के अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे बड़े बाजार को निर्यात में लगभग 50% की गिरावट हुई है और यूरोपीय संघ की माँग में मामूली गिरावट हुई है। (शेयर मंथन, 27 नवंबर 2020)
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