
सरकार वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकती है। सेबी ने सरकार को कंपनी के शेयरहोल्डर्स के लिए ओपन ऑफर (ओएफएस) लाने की मंजूरी दे दी है। इस ओपन ऑफर के जरिये कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 22.6% से बढ़कर करीब 49% हो जायेगी। दरअसल, सरकार ने सेबी को कंपनी के स्पेक्ट्रम बकाया को इक्विटी में बदलने का प्रस्वात दिया था, जिसे सेबी ने मान लिया है।
क्या है सरकार का प्रस्ताव?
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) पर स्पेक्ट्रम नीलामी का 36950 करोड़ रुपये का बकाया है। कंपनी तमाम कोशिशें करने के बाद भी इस रकम को चुका नहीं पा रही है। इसलिए सरकार ने इस रकम को इक्विटी में बदल कर 34% से अधिक हिस्सेदारी खरीदने का प्रस्ताव सेबी को भेजा था। ये सारा काम सरकार ओएफएस के माध्यम से करना चाहती है जिसे बाजार नियामक ने मंजूरी भी दे दी है। अभी कंपनी में सरकार की 22.6% हिस्सेदारी है। ओएफएस में 34% खरीद के बाद सरकार की कंपनी में करीब 49% हिस्सेदारी हो जायेगी। अभी कंपनी में प्रोमोटर की 38.80% की हिस्सेदारी है और बाकी की 61.20% हिस्सेदारी जनता की है।
क्यों जरूरी है ओएफएस लाना?
ओएफएस लाना सेबी के नियमों के तहत जरूरी है। नियम कहते हैं कि किसी भी सूचीबद्ध कंपनी की 25% या उससे ज्यादा की हिस्सेदारी हासिल करने वाली इकाई को शेयरधारकों लिए ओएफएस लाना जरूरी होता है। इसी नियम के तहत भारत सरकार वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 48.99% करना चाहती है।
सरकार होगी बोर्ड का हिस्सा?
कंपनी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी सरकार की तो हो जायेगी लेकिन वो बोर्ड का हिस्सा नहीं होगी। दरअसल सरकार ने सेबी से कहा है कि उसका कंपनी के बोर्ड में हिस्सेदार बनने का कोई ईरादा नहीं है। साथ ही सरकार कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए किसी तरह का बदलाव भी नहीं करेगी।
(शेयर मंथन, 08 अप्रैल 2025)
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