एमसीएक्स पर कॉटन वायदा (जून) की कीमतों के 22,600-22,800 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं।
घरेलू बाजार में, कताई मिलों की ओर से बढ़ती माँग और किसानों के पास लगभग कोई स्टॉक नहीं होने के कारण कपास की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, जबकि स्टॉकिस्ट कम कीमत पर नहीं बेच रहे हैं। सीसीआई बिक्री मूल्य बढ़ा रहा है, इसलिए राज्यों की मंडियों में कपास की कीमतें बढ़ रही हैं। मिलों को अगले दो से ढाई महीने की खपत के लिए कपास के स्टॉक की जरूरत है। बुधवार को आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में तेजी दर्ज की गयी है। आईसीई कॉटन दिसंबर की कीमतें 0.3% बढ़कर 84.94 सेंट प्रति पौंड हो गयी। इसने 84.7 और 85.43 सेंट प्रति पाउंड के दायरे में कारोबार किया।
ग्वारसीड और ग्वारगम वायदा (जून) की कीमतों में क्रमशः 4,140-4,120 रुपये और 6,330-6,300 रुपये के स्तर तक गिरावट जारी रहने की संभावना है। हाल के दिनों में, देशव्यापी तालाबंदी के कारण ग्वारगम निर्यात में गिरावट हुई है, जिसने औद्योगिक गतिविधियों को बाधित किया है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की माँग धीमी हुई है। दूसरे, गुजरात कृषि विभाग के नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि इस सीजन में 10 मई तक बुवाई का रकबा पिछले साल के 1,702 की तुलना में 1,807 हेक्टेयर हो गया है।
चना वायदा (जून) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ कारोबार करने की संभावना है। यदि कीमतें 5,200 रुपये के स्तर से नीचे टूटती है तो 5,150-5,100 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2020-21 में चना उत्पादन 2019-20 में 11.1 मिलियन टन से बढ़कर 12.6 मिलियन टन होने की उम्मीद है। दूसरे, लॉकडाउन प्रतिबंधें के कारण घरेलू बाजारों में चने की माँग कमजोर है। (शेयर मंथन, 04 जून 2021)
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