कपास वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 885-905 रुपये के दायरे में साइडवेज कारोबार करने की संभावना है।
मगर इसमें थोड़ी शॉर्ट क्वरिंग (जवाबी खरीद) हो सकती है। भारत में 2018-19 में कपास की बुआई में 12% की कमी हो सकती है। क्योंकि मौजूदा सीजन में गुलाबी कीटों के प्रकोप से उत्पादन में कमी आने से किसानों को अन्य फसलों की खेती कर सकते हैं। मौजूदा सीजन में 12.26 मिलियन हेक्टेयर की तुलना में 201-19 में कपास की बुआई कम होकर 10.8 मिलियन हेक्टेयर होने का अनुमान है। ग्वारगसीड वायदा (अपैल) की कीमतों के 4,150-4,100 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती हैं। विदेशी बजारों में ग्वारगम की कमजोर माँग के कारण पेराई के लिए ग्वारसीड की माँग कम हो रही है। क्योंकि खरीदार थोक खरीदारी नही करना चाहते हैं। बाजारों में ग्वारसीड का स्टॉक भी काफी अधिक है। ग्वारगम के निर्यात माँग में तेजी आने पर ही कीमतों में तेजी दर्ज की जा सकती है। चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों में नरमी का रुझान बरकरार रहने की संभावना है और कीमतें 3,700 रुपये से नीचे ही रह सकती है। मिलों की ओर से कमजोर माँग के कारण माँग को छोड़ कर अधिकांश दालों की कीमतों में नरमी का रुझान है। महाराष्ट्र में तूर की कीमतें 4,200 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मध्य प्रदेश में तूर की कीमते 3,800-3,900 रुपये के दायरे में हैं। चना कांटा की कीमते 3,550 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि चना देशी की कीमतें 3,450 रुपये क्विंटल में है। शेयर मंथन, 22 मार्च 2018)
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