सोयाबीन वायदा (जुलाई) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 3,400 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना हैं।
देश में सोयाबीन का काफी कम स्टॉक बचा होने के कारण मौजूदा स्तर पर कीमतों को मदद मिलने की संभावना है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार मौजूदा सीजन 2017-18 में सोयाबीन का अंतिम स्टॉक कई वर्षो में सबसे कम 1 लाख टन रह गया है। सोपा के अनुसार 2017-18 में 83.50 लाख टन सोयाबीन उत्पादन का अनुमान है।
रिफाइंड सोया तेल वायदा (जुलाई) की कीमतों के 735-745 रुपये के दायरे में साइडवेज कारोबार करने की संभावना है, जबकि सीपीओ वायदा (जून) में शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) को 640-643 रुपये के स्तर पर रेजस्टिेंस का सामना करना पड़ सकता है। कमजोर माँग और जुलाई में निर्यात कर को बरकरार रखने के फैसले के कारण मलेशियन पॉम ऑयल की कीमतें कल 1% से अधिक की गिरावट के साथ दो वर्षो के निचले स्तर पर पहुँच गयी हैं। सीबोट में सोयाबीन की कीमतों में नरमी के रुझान और मलेशिया एवं इंडोनेशिया में पॉम ऑयल के कम होते निर्यात और बढ़ते भंडार के कारण विदेशी बाजारों में पॉम ऑयल की कीमतों में गिरावट हो रही है।
सरसों वायदा (जुलाई) की कीमतों को 3,990-4,005 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है और बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। हाजिर बाजारों में मिलों की ओर से सरसों की माँग काफी कम है, क्योंकि सरसों तेल की कीमतों में गिरावट के कारण मिलों का मार्जिन कम हो गया है। सोया तेल और पॉम ऑयल की कीमतों में हो रही गिरावट के कारण सरसों तेल की खरीदारी कम हो रही है। (शेयर मंथन, 14 जून 2018)
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