हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में नरमी बरकरार रहने की संभावना है और कीमतें 6,600-6,550 रुपये तक लुढ़क सकती है।
कीमतें 6,675-6,835 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। पर्याप्त माँग के अभाव में हल्दी की कीमतों में रिकवरी नही हो रही है। दिसंबर के अंत तक निजामाबाद में नयी फसल की आवक से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।
जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतों को 18,200 रुपये के नजदीक रुकावट का सामना करना पड़ सकता है। खरीदार नयी फसल की आवक का इंतजार कर रहे है और बुआई की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं। नवंबर के अंतिम हफ्ते तक राजस्थान में पिछले वर्ष की समान अवधि के 2.5 लाख हेक्टेयर की तुलना में 24% की बढ़ोतरी के साथ 3.1 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई है। लेकिन गुजरात में 10 दिसंबर तक जीरे की बुआई 2,68,368 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 3,11,366 हेक्टेयर हुई थी। गुजरात में जीरे की बुआई पूरे जोर-शोर से नहीं हो पा रही है, लेकिन राज्य में बुआई के लिए जीरे की खरीदारी में पहले ही 10% की वृद्धि हो चुकी है। इसका कारण यह है कि राजस्थान के किसान और कारोबारी ऊंझा से बुआई के लिए जीरे की खरीदारी कर रहे हैं, क्योंकि गुजरात के बीज की उत्पादकता बेहतर होती है।
कम उत्पादन अनुमान के कारण धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों को 6,200 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है। छिटपुट बारिश और किसानों के चना एवं गेहूँ जैसी लाभकारी फसलों की खेती की ओर रुख करने के कारण बुआई और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। (शेयर मंथन, 21 दिसंबर 2018)
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