सोयाबीन वायदा (जनवरी) की कीमतों के 3,330 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 3,390 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है।
सोयामील के बेहतर निर्यात की उम्मीद से पेराई मिलों द्वारा निचले स्तर पर सोयाबीन की खरीदारी किये जाने के कारण कीमतों में तेजी का रुझान है। सरकारी एजेंसियों द्वारा सुस्त खरीदारी के कारण किसान अपने उत्पाद को सीधे पेराई मिलों को बेच रहे है। सरकारी एजेंसियां कुछ नियत मानकों पर ही खरीदारी कर रही हैं। इसलिए किसान निजी पेराई मिलों को सोयाबीन बेचने पर विवश हुए हैं।
सरसों वायदा (जनवरी) की कीमतों को 3,970 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकती है और कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। निजी कारोबारियों, स्टॉकिस्टों और किसानों के पास लगभग 6-8 लाख टन सरसों का स्टॉक है, जिससे सरसों की कुल उपलब्धता 10-12.4 लाख टन हो गयी है, जो फरवरी में नयी फसल की आवक पूरा होने तक पर्याप्त है। सरसों उत्पादक अधिकांश राज्यों में मौसम सरसों की खेती के काफी अनुकूल हो गया है। इसलिए कारोबारियों को उम्मीद है कि सरसों का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम 5% अधिक हो सकता है।
सीपीओ (दिसंबर) वायदा की कीमतों के 500-509 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। कारोबारियों को सावधान रहने की जरुरत है क्योंकि मलेशिया पॉम ऑयल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात शुल्क पर पुनर्विचार कर रहा है। विदेशों से माँग में कमी के कारण मलेशियान पॉम ऑयल के भंडार में बढ़ोतरी होती जा रहा है। (शेयर मंथन, 27 दिसंबर 2018)
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