हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 6,850-6,900 रुपये के स्तर पर अड़चन रह सकती है।
हाजिर बाजारों में कमजोर सेंटीमेंट के कारण कीमतों में बढ़त पर रोक लगी है। खराब क्वालिटी की आवक के कारण इरोद में हल्दी की कीमतों में गिरावट हुई है। फिंगर वेरायटी की कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल और रेगुलेटेड मार्केट कमिटी में फिंगर वेरायटी की कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल और रूट वेरायटी की कीमतों में 150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है।
जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है और शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) को 17,600 रुपये के स्तर पर रुकावट का सामना करना पड़ सकता है। हाल ही में उत्पादन क्षेत्रों में हल्की बारिश के बाद बुआई में तेजी आने के कारण कीमतों में नरमी बरकरार रहने की संभावना है। प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में अनुकूल मौसम से उत्पादन क्षेत्रों में बढ़ोतरी होने की संभावना है। वर्तमान समय में ठंड के कारण गुजरात और राजस्थान के उत्पादन क्षेत्रों में मिट्टी में नमी की मात्रा बढ़ गयी है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार गुजरात में 90% क्षेत्रों में जीरे की बुआई हो चुकी है, जबकि राजस्थान में 110-125% क्षेत्रों में जीरे की बुआई हुई है।
धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों में तेजी के बाद बिकवाली दर्ज की जा सकती है और कीमतों में 6,000-5,900 रुपये तक गिरावट दर्ज की जा सकती है। पहले राजस्थान में बुआई कम होने की खबरें थी लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी के बाद किसानों ने बुआई तेज कर दी है। इस बीच अनुकूल मौसम के कारण उत्पादकता भी बढ़ सकती है। (शेयर मंथन, 27 दिसंबर 2018)
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