कॉटन वायदा (मार्च) की कीमतों की बढ़त पर 21,400 रुपये के नजदीक रोक लग सकती है।
कपास की कीमतों में हाल ही में तेजी के बाद तेलंगाना और गुजरात में रूई की कई फैक्टियों ने काम करना बंद कर दिया है। उत्पादन कम होने के कारण तमिलनाडु के बाजारों में नयी कपास की आवक भी कम हो गयी है, जिससे कपास की कीमतों को उछाल मिली है। लेकिन कीमतों में नरमी की संभावना है, क्योंकि भारतीय कपास निगम द्वारा 2018-19 सीजन में ही खरीदे गये अपने मौजूदा स्टॉक से कपास की बिक्री किये जाने की संभावना है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में आईसीई में कॉटन वायदा (मई) की कीमतों में मिला-जुला रुझान है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद में कोई प्रगति नहीं होने से दोनों देशों राष्ट्रपतियों के बीच बातचीत के लिए समय निश्चित नहीं हो पाने की खबरों से आगामी दिनों में भी कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों को निकट भविष्य में 4,210 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है। होली के पहले चना और बेसन की अधिक माँग के कारण कीमतों में तेजी का सेंटीमेंट है।
मेंथा ऑयल वायदा (मार्च) की कीमतों को 1,635-1,645 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है और कीमतों में तेजी का रुझान रह सकता है। मौजूदा कीमतों पर घरेलू और निर्यात माँग के कारण कीमतों में तेजी का सेंटीमेंट है। इसके अतिरिक्त कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद से किसानों द्वारा अपना उत्पाद बाजारों में नही लाये जाने के कारण उत्तर प्रदेश के बाजारों में आवक कम हो रही है। (शेयर मंथन, 19 मार्च 2019)
अंतरराष्ट्रीय बाजार में आईसीई में कॉटन वायदा (मई) की कीमतों में मिला-जुला रुझान है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद में कोई प्रगति नहीं होने से दोनों देशों राष्ट्रपतियों के बीच बातचीत के लिए समय निश्चित नहीं हो पाने की खबरों से आगामी दिनों में भी कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों को निकट भविष्य में 4,210 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है। होली के पहले चना और बेसन की अधिक माँग के कारण कीमतों में तेजी का सेंटीमेंट है।
मेंथा ऑयल वायदा (मार्च) की कीमतों को 1,635-1,645 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है और कीमतों में तेजी का रुझान रह सकता है। मौजूदा कीमतों पर घरेलू और निर्यात माँग के कारण कीमतों में तेजी का सेंटीमेंट है। इसके अतिरिक्त कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद से किसानों द्वारा अपना उत्पाद बाजारों में नही लाये जाने के कारण उत्तर प्रदेश के बाजारों में आवक कम हो रही है। (शेयर मंथन, 19 मार्च 2019)
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