कपास वायदा (जुलाई) की कीमतों में नरमी रह सकती है और कीमतों में 21,200 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
उत्तर भारत के तीन राज्यों हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में खरीफ के मौसम के दौरान कपास की बुआई पहले ही साल भर पहले के स्तर पर पहुँच गयी है, जबकि पश्चिम और दक्षिण भारत के राज्यों द्वारा उपलब्ध कराये गये आँकड़ों से पता चलता है इन राज्यों में बुआई पिछड़ गयी है। छिटपुट बारिश के कारण दक्षिण और पश्चिमी भारत में बुआई कम हुई है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कुल क्षेत्रफल 16.2 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है, जो कि एक साल पहले 16 लाख हेक्टेयर था और पाँच साल के औसत क्षेत्र 14.7 लाख हेक्टेयर से अधिक है।
इस बीच अमेरिकी कॉटन वायदा की कीमतें 65-68 सेंट प्रति पाउंड के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। मौजूदा बुवाई के मौसम में अनियमित बदलाव के कारण कारोबारी सतर्क हैं।
कैस्टरसीड वायदा (जुलाई) की कीमतें 5,555 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ तेजी के रुझान के साथ 5,620 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती हैं। गुजरात के हाजिर बाजारों में आवक में कमी और उत्पादन क्षेत्रों में कमी के अनुमान के बाद कीमतों में तेजी का रुझान है। गुजरात के कृषि मंत्रालय के अनुसार कैस्टर का उत्पादन क्षेत्रों 2,039 हेक्टेयर रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 72% कम है।
कॉटन सीड ऑयल केक वायदा (जुलाई) की कीमतों में उच्च स्तर पर मुनाफा वसूली हो सकती है और कीमतों को 2,800 रुपये के नजदीक बाधा का सामना करना पड़ सकता है। कीमतों में 2,700 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में मॉनसून के आगे बढ़ने के बाद चारे की उपलब्धता को लेकर चिंता कम होने और पशु-चारा उद्योग की ओर सुस्त माँग के कारण कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 03 जुलाई 2019)
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