कॉटन वायदा (नवम्बर) की कीमतों के तेजी के रुझान पर रोक लगने की संभावना है और कीमतें 19,500-20,500 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती है।
मिल की ओर से कमजोर माँग के कारण कर्नाटक में कपास की कीमतें कम हो गयी। महाराष्ट्र में कपास की कीमतें भी मिलों द्वारा कम खरीद के कारण घट रही हैं। कारोबारियों के अनुसार, मौसम की स्थिति काफी हद तक सकारात्मक है, कुछ क्षेत्रों को छोड़कर जहाँ अभी भी घटाटोप हैं। गुजरात के कपास की कीमतें कम हो रही हैं क्योंकि हाल ही में कीमतों में बढ़ोतरी के बाद निजी मिलें कपास खरीदना नही चाहती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, सोमवार को यूएसडीए अपनी फसल की कटाई और स्थिति का आँकड़ा अपडेट करेगा। मौसम का पूर्वानुमान यह है कि अगले 6-10 दिनों के दौरान औसत से अधिक वर्षों हो सकती है। कपास की पैदावार की तुलना में कपास के ग्रेड को अधिक नुकसान पहुँचाने के लिए ऐसा मौसम उपयुक्त है। कोरोना वायरस महामारी की माँग के बाद अप्रैल की शुरुआत में कपास की कीमतें 50 सेंट से कम हो गयी थी, लेकिन तब से प्रतिकूल मौसम के बारे में चिंता के कारण कीमतें 40% बढ़ गयी हैं।
चना वायदा (नवम्बर) की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद बिकवाली हो सकती है और कीमतों को 5,400-5,450 रुपये के पास बाधा का सामना करना पड़ सकता है और कीमतों में 5,200-5,150 रुपये तक गिरावट हो सकती है। कमजोर माँग के कारण चना में नरमी का भाव रहा और चना (कांता) का भाव घटकर 5,325-5,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। हाल ही में दालों की कीमतों में बढ़ोतरी को काबू में करने के लिए, केंद्र सरकार ने अपने बफर स्टॉक से 40,000 टन तुअर दाल को छोटे खुदरा बाजार में उतारने की योजना बनायी है। राजस्थान के हाजिर बाजारों से सकारात्मक संकेत मिलने से ग्वारसीड और ग्वारगम वायदा की कीमतों में तेजी का रुख बना रहेगा। कई मंडियों में नये ग्वारसीड की कीमत बढ़ी और 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गयी है। (शेयर मंथन, 26 अक्टूबर 2020)
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