कॉटन वायदा (नवम्बर) में 19,350 रुपये के पास निचले स्तर पर कुछ खरीदारी हो सकती है और कीमतों में 19,600 रुपये तक बढ़ोतरी हो सकती है।
पिछले सीजन में 50 लाख बेल के मुकाबले इस सीजन में 60 लाख बेल से अधिक निर्यात पर व्यापारियों की नजर है। चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और बांग्लादेश भारत से कपास खरीदना चाहते हैं। देश के शंकर-6 किस्म, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप है, की कपास लगभग 40,000 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) पर ब्रिक रही है। अमेरिका और ब्राजील जैसे देश 42,000 रुपये से अधिक की माँग कर रहे हैं। कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, जिसके पास पिछले सीजन का लगभग 60 लाख बेल का स्टॉक है, विदेश में विभिन्न स्थानों के लिए 73.45 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड (क्विंगडाओ, चीन) से लेकर 78.15 सेंट (चटगाँव, बांग्लादेश) के दायरे में कपास की पेशकश कर रहा है। यह अमेरिका या ब्राजील के बंदरगाह पर कपास लोडिंग की लागत 73-74 सेंट प्रति पाउंड के मुकाबले काफी कम है। इसके अलावा, कारोबारी सीसीआई से भी कपास खरीद रहे हैं और निर्यात कर रहे हैं।
चना वायदा (नवम्बर) की कीमतों में 5,150-5,100 रुपये तक गिरावट हो सकती है। खबरों में, इस वित्त वर्ष में 4,00,000 टन तुअर आयात करने की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गयी है, जबकि पहले से जारी आयात कोटा 1,500,000 केतहत उड़द के आयात में तेजी लायी गयी है। अगले 15 दिनों में, बफर स्टॉक से 200,000 टन तुअर दाल की बिक्री खुले बाजार में की जायेगी। सरकार ने 200,000 टन तुअर के आयात के लिए मोजाम्बिक के साथ समझौता ज्ञापन का विस्तार करने का भी फैसला किया है, और म्यांमार के साथ पाँच साल के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में है, जिससे 250,000 टन उड़द का आयात किया जा सके।
कैस्टरसीड वायदा (नवम्बर) की कीमतों में तेजी दिख रही है और कीमतें 4,550-4,600 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। माँग पक्ष मजबूत है क्योंकि चीन अपने सरकारी भंडार के लिए आक्रामक तरीके से कमोडिटीज की खरीद कर रहा है, जिसमें भारत से भारी मात्रा में अरंडी बीज भी शामिल हैं। (शेयर मंथन, 03 अक्टूबर 2020)
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