कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 19,500-20,500 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं।
दैनिक आधार पर आवक बढ़ने के साथ मिलों की ओर से कमजोर खरीदारी के कारण कर्नाटक के हाजिर बाजारों में कपास की कीमतों में गिरावट हो रही है। इसी तरह राजस्थान में, स्टॉकिस्टों, धागा मिलों और निर्यातकों की ओर से माँग कमजोर है जबकि राज्य के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में अनुकूल मौसम के कारण आपूर्ति बढ़ रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार से मंदी के रुझान हैं। आईसीई में, कॉटन वायदा की कीमतों को 74 के पास बाधा का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि माँग को लेकर चिंताये बरकरार हैं और कोरोना वायरस के प्रकोप की दूसरी लहर के कारण ऑर्डर कम हो गये हैं। वर्तमान परिदृश्य में, कोई भी मिल बाजार की अधिक कीमतों पर तैयार नहीं है, और अच्छी खरीदारी के लिए कीमतों में गिरावट के लिए इंतजार कर रहा है।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 4,750-4,950 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में चना की बुआई पिछले वर्ष की कुल बुआई की तुलना में अधिक हो जाने के कारण फंडामेंटल अभी भी कमजोर है।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद 3,900 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ बिकवाली देखी जा सकती है और कीमतों में 3,750 रुपये तक गिरावट देखी जा सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतें 5,600-5,500 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। राजस्थान, हरियाणा और गुजरात की मंडियों में ग्वारगम समूह की कीमतों में नरमी का रुझान देखा जा रहा है, क्योंकि अमेरिका से तेल रिगों की संख्या में कमी के कारण ग्वारगम की माँग भी कम हो गयी है। माँग में बढ़ोतरी पर्यावरण और तेल और गैस की खोज पर डेमोक्रेट सरकार की नीति पर निर्भर करेगा। औसतन हर महीने लगभग 14,000-15,000 टन निर्यात होता है जो 50% से कम है। मंडियों में भी स्टॉकिस्ट अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीद रहे हैं। (शेयर मंथन, 07 दिसंबर 2020)
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