अंतरराष्ट्रीय बाजार से नकारात्मक संकेत लेते हुये कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतें 21,700-21,500 रुपये तक लुढ़क सकती है।
फेडरल रिपोर्ट में जोरदार निर्यात बिक्री के बावजूद अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के कारण आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतें एक सप्ताह के निचले स्तर पर पहुँच गयी हैं।
ग्वारसीड (अप्रैल) की कीमतें 3,700-3,650 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है, जबकि ग्वारगम (अप्रैल) वायदा की कीमतों में 5,800-5,700 रुपये गिरावट होने की उम्मीद है। यूरोप में कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी को लेकर चिंता और अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के कारण कच्चे तेल की कीमतें दो सप्ताह के निचले स्तर पर पहुँच जाने के बाद सेंटीमेंट कमजोर हुआ है। यूरोप में टीकाकरण कार्यक्रमों की धीमी गति और कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए अधिक प्रतिबंधें की संभावना से ईंधन के उपयोग में बढो़तरी की उम्मीद नही है। इसलिए, ग्वारगम की कमजोर माँग मिलों को हतोत्साहित कर रही है और यहाँ तक कि ग्वारगम की कीमतों में असमानता के कारण कुछ मिलें बंद हो रही हैं।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ कारोबार करने की संभावना है कीमतें 4,900-4,850 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती हैं। राजस्थान में शुरू होने वाली भारी आवक की खबरों पर चना वायदा की कीमतों में गिरावट हुई है। सीजन की शुरुआत में बेहतर कीमतों का फायदा उठाने के लिए किसान अपनी उपज को बाजार तक पहुँचाने की जल्दी में हैं। जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि मार्च से अप्रैल, 2021 के दौरान कटाई के समय चने की कीमतें 4,250 रुपये से 4,700 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में रह सकती हैं। दूसरे, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी खरीफ सीजन में दालों की ऊँची कीमतों को देखते हुये, किसानों को गर्मियों के दौरान बुवाई शुरू करने के लिए बारिश का बेसब्री से इंतजार है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग अगले महीने लंबी अवधि के मानसून का पूर्वानुमान जारी करने की तैयारी कर रहा है। (शेयर मंथन, 22 मार्च 2021)
Add comment