कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों में लगातार तीसरे सप्ताह वृद्धि की उम्मीद है और कीमतें 22,500-22,700 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। अगले पफसल वर्ष (जुलाई 2021-जून 2022) में कपास के उत्पादन क्षेत्र की संभावनाओं पर अपने दृष्टिकोण को लेकर कपास उद्योग विभाजित है।
कुछ का कहना है कि उत्पादन क्षेत्र बढ़ सकता है, जबकि अन्य ने अधिक उत्पादन क्षेत्र की संभावनाओं को लेकर निराशा व्यक्त की हैं। दूसरी ओर अमेरिका, ब्राजील, पश्चिम अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों की तुलना में भारतीय कपास की कीमत कम है। वर्तमान में, भारतीय कपास की निर्यात कीमत 45,300-45,700 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) प्रस्तावित है। इसके विपरीत, न्यूयॉर्क में कपास 79.90 सेंट प्रति पाउंड (47,050 रुपये प्रति कैंडी) पर बिक कर रहा है। अमेरिकी कपास की साप्ताहिक निर्यात बिक्री में वृद्धि के कारण आईसीई में कॉटन वायदा (मई) की कीमतों को लगभग 78 सेंट के स्तर पर सहारा मिलने की उम्मीद है। अमेरिकी कृषि विभाग की साप्ताहिक निर्यात बिक्री रिपोर्ट के अनुसार बाजार वर्ष 2020-2021 में 2,69,900 रनिंग बेल (आरबी) की शुद्ध बिक्री हुई है जो पिछले सप्ताह से अधिक है और पिछले चार सप्ताह के औसत से 8% अधिक है।
ग्वारसीड (मई) की कीमतें 3,850-4,050 रुपये के दायरे में मजबूत हो सकती है। इसी तरह, ग्वारगम (मई) की कीमतें 6,000-6,450 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। ये काउंटर स्थिर रह सकते हैं क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिर हैं और अमेरिकी तेल और गैस रिगों की संख्या 7 अप्रैल को समाप्त में नौ बढ़कर 528 हो गयी है क्योंकि विशाल पर्मियन बेसिन में ड्रिलिंग गतिविधि में थोड़ी कमी हुई है लेकिन छोटे बेसिनों में वृद्धि हुई है।
चना वायदा (मई) की कीमतों में तेजी देखी जा सकती है और आने वाले त्योहारों के मौसम के दौरान बेहतर माँग की उम्मीद के कारण कीमतें 5,700-5,800 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। इसके अलावा, सरकार ने प्रमुख बाजारों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की शुरुआत की है। सरकारी एजेंसी नेफेड ने आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात में 1.52 लाख टन चना खरीदा है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2020-21 सीजन में रिकॉर्ड 116 लाख टन चना उत्पादन का अनुमान है। (शेयर मंथन, 12 अप्रैल 2021)
Add comment