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हल्दी में गिरावट, जीरे को 13,400-13,300 रुपये पर सहारा रहने की संभावना - एसएमसी

हल्दी वायदा (जुलाई) की कीमतों में 7,100-7,000 रुपये के स्तर तक गिरावट की संभावना है क्योंकि स्थानीय उपभोक्ता केंद्रों और विदेशी बाजार की माँग में कमी आयी है।

तेलंगाना के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बुवाई क्षेत्र में प्रगति के बीच अनुकूल बारिश से भी हल्दी की कीमतों में गिरावट आयी है। बेंचमार्क बाजार, निजामाबाद में, शुक्रवार को 4,000 बैग की तुलना में 5,000 बैग (1 बैग=65 किलोग्राम) आवक हुई है। बल्ब किस्म की हल्दी की कीमत 5,800-6,300 रुपये और फिंगर किस्म की हल्दी की कीमत 6,000-7,500 रुपये प्रति 100 किलोग्राम रही है। प्रमुख निर्यात गंतव्य बांग्लादेश ने देश में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के प्रयास में एक सप्ताह के लिए सख्त राष्ट्रव्यापी तालाबंदी की घोषणा की है।

जीरा वायदा (जुलाई) की कीमतों के 13,400-13,300 रुपये के स्तर पर सहारा बने रहने की संभावना है। निर्यात माँग मजबूत दिख रही है क्योंकि तुर्की और सीरिया जैसे अन्य निर्यात प्रतिस्पर्धिरियों के पास पेशकश करने के लिए निर्यात योग्य सरप्लस कम है। घरेलू बाजार में व्यापारियों के अनुमान से संकेत मिलता है कि जीरा का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 10%-15% तक कम हो सकता है। 2019-2020 में जीरा का उत्पादन लगभग 92 लाख बैग (55 किलोग्राम प्रति बैग) हुआ था। इस सीजन में उत्पादन 85-90 लाख बैग के बीच हो सकता है। हाल ही में भारतीय रुपये के 74 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर से ऊपर रहने से भी स्थानीय उत्पादकों के लिए निर्यात आकर्षक बन गया है।

धनिया वायदा (जुलाई) की कीमतों में 6,850-6,950 रुपये के स्तर तक तेजी दर्ज की जा सकती है, जबकि कीमतों को 6,700 रुपये के स्तर पर सहारा है। हाजिर बाजार में स्थिर माँग के मुकाबले कम आवक से कीमतों को मदद मिल सकती है। हाल ही में कहा गया है कि आपूर्ति की गति धीमी रही है क्योंकि किसान बुवाई में व्यस्त हैं। इसके अलावा होरेका सेक्टर के फिर से खुलने से माँग में तेजी आ रही है, और इसलिए स्टॉकिस्ट व्यावसायिक गतिविध्यिों में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। निकट भविष्य में बेहतर दाम मिलने की उम्मीद में किसान भी कम कीमतों पर सौदा करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। (शेयर मंथन, 29 जून 2021)

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