हल्दी वायदा (नवंबर) की कीमतों में कल भी बढ़त जारी रही और कीमतों के 7,350 रुपये पर सहारा के साथ 7,750 रुपये के स्तर तक बढ़त दर्ज करने की संभावना है।
इस वर्ष के दौरान लगातार माँग के कारण वर्तमान में कीमतें लगभग वर्ष-दर-वर्ष 35% अधिक हैं। आने वाले सीजन में अच्छे उत्पादन की उम्मीद के कारण हमने पिछले कुछ हफ्तों से कीमतों में गिरावट देखी है, लेकिन बेहतर निर्यात माँग की संभावना से कीमतों को समर्थन मिल सकता है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त) में हल्दी का निर्यात पिछले साल के मुकाबले 25% घटकर 64,600 टन हुआ है लेकिन 5 साल के औसत के बराबर है।
जीरा वायदा (नवंबर) की कीमतों में कल तेज गिरावट दर्ज की गयी है। अब कीमतों के 15,150 रुपये पर सहारा के साथ 14,800-15,300 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। त्योहारी माँग अब धीमी हो रही है, लेकिन निर्यात पूछताछ से कीमतों को समर्थन मिलने की उम्मीद है। इस वर्ष खराब मौसम के कारण सीरिया और तुर्की में जीरा का उत्पादन सीमित हुआ है जिससे भारतीय जीरे की माँग बढ़ जाती है। अप्रैल-अगस्त के दौरान जीरा का निर्यात 12% घटकर 1.24 लाख टन हुआ है।
धनिया वायदा (नवंबर) की कीमतों में कल बढ़ोतरी हुई और 8,000 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 8,400 रुपये के स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है। राजस्थान सहित उत्तर भारत में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश के कारण कीमतों को मदद मिली है। पिछले सप्ताह कीमतों में गिरावट के कारण धनिया की माँग में बढ़ोतरी हुई है। बाजार निर्यात माँग की तलाश में है, क्योंकि अप्रैल-अगस्त की अवधि के दौरान निर्यात पिछले वर्ष के 23,300 टन से 10% घटकर 21,000 टन हो गया है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 12.7% अधिक है। देर से होने वाली बारिश से आने वाले सीजन में रबी की फसल को मदद मिलेगी। (शेयर मंथन, 29 अक्टूबर 2021)
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