कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों में पिछले सप्ताह 43,380 रुपये के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने के बाद थोडी गिरावट हुई है।
अब यदि कीमतें 41,480 रुपये के सहारा स्तर से नीचे टटू ती है तो 39,500 रुपये के स्तर तक नीचे जा सकती है। उत्पादन में कमी की आशंका, धीमी आवक, बेहतर घरेलू और नियार्त माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 99% अधिक है और नये साल में लगभग 25.3% बढ़ी है। यूएसडीए की रिपार्टे के अनुसार, आने वाले सीजन (2022 में) कपास की बुआई कुल 12.2 मिलियन एकड़ में होंने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में प्रतिशत अधिक है। मार्च की अपनी नवीनतम रिपार्टे में, यूएसडीए ने 2021-22 में वैश्विक कपास उत्पादन अनुमान को फरवरी 2022 में अनुमानित 120.2 मिलियन गाठं की तुलना में घटाकर 119.9 मिलियन गाठं (1 यूएस गाठं=218 किलोगा्म) कर दिया। 2021-22 में विश्व स्तर कपास का अंतिम स्टॉक अब पिछले महीने की तुलना में 1.7 मिलियन गाठं कम होकर 82.57 मिलियन गाठं रह सकता है। भारत में कपास का उत्पादन लगातार दूसरे महीने 5,00,000 गाठं घटकर 26.50 मिलियन गाठं रहने का अनुमान है।
देश से ग्वारगम के निर्यात में बढ़ोतरी के कारण पिछले सप्ताह ग्वारसीड वायदा (अप्रैल) की कीमतों में तेजी रही। अब अगर कीमतें 6,500 रुपये के बाधा स्तर को पार करती है तो 7,000 रुपये के स्तर तक बढ़त दर्ज कर सकती हैं। सहारा 6,050 रुपये के स्तर पर है। वर्तमान में, पिछले 5 वर्षों में सबसे कम उत्पादन, कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 68% अधिक हैं। तेल रिगों की संख्या भी पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 253 रुपये बढ़कर 670 रुपये हो गई है। जनवरी 2022 में ग्वारगम का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 5% बढ़कर 22,300 टन हो गया है, जबकि 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 38.4% बढ़कर 2.64 लाख टन हुआ है।
आपूर्ति और माँग की संतुलित स्थिति के कारण अरंडी वायदा (अप्रैल) की कीमतें 7,100-7,400 रुपये के दायरे में कारोबार कर रही है। इसे अब तक के उच्चतम स्तर 7,430 रुपये पर रुकावट का सामना करना पड़ रहा है। रुझान सकारात्मक है और यदि यह अपने बाधा को पार करती है तो यह 7,600 रुपये तक बढ़ सकती है। अधिक माँग और कम उत्पादन अनुमान के कारण वर्तमान में अरंडी की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 49.8% अधिक हैं, जबकि इस वर्ष कीमतों में 24.5% से अधिक की वृद्धि हुई है। एसईए के अनुसार, फरवरी 2022 में अरंडीमील का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 40% बढ़कर 32,000 टन हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कुल निर्यात पिछले वर्ष के 3.90 लाख टन से लगभग 5.5% घटकर 3.60 लाख टन रह गया। इसी तरह, फरवरी 2022 में अरंडी के तेल का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 7% बढ़कर 50,200 टन हो गया, जबकि यह अप्रैल-पफरवरी की अवधि के लिए 6.1 लाख टन के बराबर है।
आने वाले सीजन में कम रकबे की उम्मीद के चलते मेंथा ऑयल (अप्रैल) की कीमतें लगातार चौथे हफ्ते बढ़त के साथ बंद हुई। तत्काल अड़चन 1,110 रुपये के स्तर पर है और सहारा 1,060 रुपये पर है। कीमतों में तेजी का रुझान है और आने वाले हफ्रतों में 1,100 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। इस सीजन में मेंथा का रकबा कम रहने की उम्मीद है क्योंकि उत्तर प्रदेश के किसानों के इस सीजन में कम रकबे में बुवाई करने की संभावना है, जबकि निर्यात और माँग पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रही है। (शेयर मंथन, 04 अप्रैल, 2022)
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