कच्चे तेल की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,180 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 3,020 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
डॉलर के लगभग दो साल के निचले स्तर पर आने के कारण आज तेल की कीमतों में बढ़त देखी जा रही है लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और यू.एस.-चीन के तनाव से उत्पन्न चिंताओं के कारण कीमतों में बढ़त सीमित रही। प्रमुख करेंसियों के मुकाबले डॉलर 22-महीने के निचले स्तर पर फिसल गया है। एक कमजोर डॉलर के कारण आमतौर पर सोने और तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है क्योंकि ये कमोडिटीज अन्य मुद्राओं के धरकों के लिए सस्ते हो जाती हैं। कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहने का प्रयास कर रही हैं क्योंकि अमेरिकी कांग्रेस द्वारा महामारी से निपटने के लिए एक और राहत पैकेज देने में सपफल होगी। कल के अमेरिकी आर्थिक आँकड़ों से पता चला है कि आर्थिक सुधर की कोशिश जारी है और बहुत अधिक फेडरल सहायता की गारंटी दे रहा है। यद्यपि संक्रमणों के बढ़ने से नये सरकारी लॉकडाउन की आशंकाएं बढ़ गये हैं, चिंता का विषय है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन - दुनिया के शीर्ष दो तेल उपभोक्ताओं के बीच तनाव से तेल की माँग को प्रभावित हो सकती है।
नेचुरल गैस की कीमतों में नरमी दर्ज की जा सकती है और कीमतें 137 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 137 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। (शेयर मंथन, 24 जुलाई 2020)