हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों की बढ़त पर 7,550-7,600 रुपये के नजदीक रोक लग सकती है।
क्योंकि माँग उत्साहजनक नही है। हाजिर बाजारों से कोई नया रुझान नही मिल रहा है क्योंकि स्टॉकिस्टों की ओर से उत्साहजनक नही है और कारोबारियों को घरेलू ऑर्डर भी नही मिल रहे हैं। यहाँ तक कि वांरागल और बसमतनगर की मंडियां बंद हैं। क्योंकि किसान मौजूदा कम कीमतों पर अपना स्टॉक बेचना नही चाहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आंध्र प्रदेश मार्क फेड के पास 48,000 टन के साथ घरेलू और निर्यात माँग को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टाॉक है। इस वर्ष सूखे जैसी स्थिति के कारण तमिलनाडु में उत्पादन क्षेत्र में कमी के कारण कम उत्पादन की भरपायी आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में अधिक उत्पादन से होने के कारण कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतें 22,000-22,500 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। हाजिर बाजारों में कम स्टॉक अब सच्चाई बन चुकी है और अधिक तापमान के कारण कम बुआई होने से नयी फसल की आवक में देरी हो सकती है। कारोबारियों को उम्मीद है कि 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में जीरे का निर्यात लगभग दोगुना 55,000 टन हो सकता है। क्योंकि विदेशी बाजारों में भारतीय जीरे की कीमत 2,990 डॉलर प्रति टन है जो तुर्की और सीरिया के 3,100 डॉलर प्रति टन की तुलना में 110 डॉलर प्रति टन सस्ता है। धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में लगातार दूसरे हफ्ते रिकवरी जारी रह सकती है और कीमतें 5,060-5,250 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। आवक कम हो रही है और किसान बुआई में व्यस्त हैं। (शेयर मंथन, 27 नवंबर 2017)
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