हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतें 6,860 के समर्थन स्तर से नीचे टूट सकती है।
यदि ऐसा हुआ तो कीमतों में 6,750-6,700 रुपये तक गिरावट हो सकती है। कमजोर घरेलू माँग के बीच नयी फसल की थोड़ी-थोड़ी आवक के कारण बाजार मे हल्दी की पर्याप्त उपलब्धता के कारण कीमतों में नरमी का रुझान है। निजामाबाद और इरोद में नयी फसल की आवक पहले ही शुरू हो चुकी है। जीरा वायदा (मार्च) की कीमतों को 15,200 के स्तर पर सपोर्ट रहने की संभावना है और आयतकों द्वारा निचले स्तर पर खरीदारी के कारण गिरावट पर रोक बरकरार रह सकती है। विश्व बाजार में अन्य देशों से नयी फसल की आवक जून में होने तक भारत एकमात्र निर्यात करने वाला देश बना रहेगा। यूरोपीय देश सिंगापुर और चीन भारत में 2,900-3,000 डॉलर प्रति टन की दर से खरीदारी कर रहे हैं। हाजिर बाजारों में नयी खरीदारी अभाव के कारण धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में पिछले हफ्तों से नरमी का रुझान है। लेकिन कीमतों को 5,400 के नजदीक सपोर्ट मिल सकता है और कीमतों की गिरावट पर रोक लग सकती हैं। घरेलू बाजारों में फिलहाल आपूर्ति का दबाव कम है। क्योंकि नयी फसल की आवक की रफ्तार काफी धीमी है और आवक में तेजी के मार्च के बाद ही शुरू होगी, जो कि अप्रैल के अंत तक चलेगी। फिर भी इस वर्ष धनिया का उत्पादन अनुमान के कारण अधिक आवक के दिनों में भी कारोबारियों को कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इस वर्ष धनिया का उत्पादन 80 लाख बैग होने का अनुमान है। लेकिन धनिया की उत्पादकता पिछले वर्ष के लगभग बराबर रहने की संभावना है। इस वर्ष धनिया के निर्यात में बढ़ोतरी होने की संभावना है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए धनिया की कीमतें काफी आकर्षक हो गयी है। (शेयर मंथन, 26 फरवरी 2018)
Add comment