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ग्वारगम और ग्वारसीड में तेजी का रुझान - एसएमसी

कॉटन वायदा (जुलाई) की कीमतों को 21,860 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
मौजूदा सीजन में उत्पादन क्षेत्र में कमी की संभावना से कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। कृषि मंत्रालय के अनुसार मौजूदा खरीफ सीजन में पिछले गुरुवार तक देश भर में कपास की बुआई 2.07 मिलियन हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16.3% कम है। कपास के प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में मॉनसून में देरी के कारण उत्पादन क्षेत्र में कमी हुई है। गुजरात में कपास की बुआई 71.8% कम होकर केवल 1,39,700 हेक्टेयर में हुई है। मॉनसून में तेजी आने पर ही कपास की बुआई में बढ़ोतरी हो सकती है।
ग्वारसीड वायदा (जुलाई) की कीमतें 3,850 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती हैं, जबकि ग्वारगम वायदा (जुलाई) की कीमतों में 8,000 रुपये तक तेजी का रुझान रहने की संभावना है। नयी फसल की आवक अक्टूबर तक होने की संभावना के बीच ग्वारगम निर्माता मिलों की ओर से अधिक माँग के कारण कीमतों को मदद मिल रही है।
चना वायदा (जुलाई) की कीमतों को 3,420 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है और कीमतों में तेजी का रुझान रह सकता है। हाजिर बाजारों में कम आवक और घरेलू एवं निर्यात माँग में बढ़ोतरी के कारण चने की कीमतों को मदद मिल रही है।
गेहूं वायदा (जुलाई) की कीमतों में 1,820 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ तेजी का रुझान रह सकता है। आटा मिलों की ओर से अधिक माँग के कारण थोक बाजारों में गेहूं की कीमतों में 5 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। इसके अतिरिक्त उत्पादन क्षेत्रों से आपूर्ति कम होने से भी कीमतों को मदद मिल रही है। (शेयर मंथन, 28 जून 2018)

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