चना वायदा (अगस्त) की कीमतों को 4,200 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
सुस्त कारोबार और ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के कारण देश के प्रमुख बाजारों में देशी और आयातित चना की कीमतों में नरमी का रुझान है। दिल्ली बाजार में राजस्थान और मध्य प्रदेश के देशी चने की कीमतें 50 रुपये की गिरावट के साथ क्रमशः 4,400 और 4,350 रुपये प्रति 100 किलो ग्राम हो गयी हैं। बाजार कीमतों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के नजदीक पहुँचने के बाद सरकार ने नाफेड को चना भंडार को बाजार में बेचने का निर्देश दिया है। नाफेड ने 4,400 रुपये प्रति 100 किलो ग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लगभग 27.39 लाख टन चना की खरीदारी की थी। उधर कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 23,400-23,750 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतों में तेजी के रुझान के कारण दक्षिण और मध्य भारत के बाजारों में कपास की कीमतों में मजबूती का रुझान है। लेकिन ट्रंसपोर्टरों की हड़ताल के कारण बाजारों में सुस्त कारोबार हो रहा है। भारत में मौजूदा खरीफ सीजन में कपास की बुआई कम होने की खबरों से कीमतों को मदद मिल रही है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में कम बारिश के कारण 19 जुलाई तक भारत में कपास की बुआई पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 11.08% कम होकर 92.70 लाख हेक्टेयर रह गयी है। गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में कपास की बुआई कम हुई है।
इसके अलावा ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 4,200 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ नरमी का रुझान जारी रह सकता है। हालाँकि निचले स्तर पर खरीदारी के कारण राजस्थान के प्रमुख बाजारों में ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतों में रिकवरी हुई है, लेकिन प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में बेहतर बारिश के बाद उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोतरी होने की संभावना से कीमतों पर दबाव बरकरार रह सकता है। मौजूदा सीजन में अभी तक ग्वारसीड की बुआई पिछले वर्ष की समान अवधि के 20 लाख हेक्टेयर की तुलना में 17.5% कम होकर 16.5 लाख हेक्टेयर रह गयी है। (शेयर मंथन, 27 जुलाई 2018)
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