हल्दी वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में नरमी का रुझान बरकरार रहने की संभावना है और कीमतें 6,480 रुपये तक लुढ़क सकती हैं।
घरेलू और स्थानीय माँग के कमजोर होने के कारण इरोद की मंडियों में हाजिर कीमतों में गिरावट हो रही है। मध्यम और खराब क्वालिटी की आवक के कारण खरीदारों की बाजार में भागीदारी कम है और वे कम कीमतें दे रहे हैं। यहाँ तक कि कम आवक के कारण भी हल्दी की कीमतों को मदद नही मिल रही है।
जीरा वायदा (अक्टूबर) की कीमतें स्थिरता के दायरे से बाहर निकल चुकी हैं और दो हफ्ते तक 19,640-19,500 के स्तर पर सहारा लेने के बाद मजबूती देखी जा रही है और कीमतों में 20,200-20,300 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। घरेलू और विदेशी खरीदारों की ओर से अधिक माँग के कारण कीमतों में तेजी का रुझान है। सीरिया और तुर्की जैसे देशों में इस वर्ष खराब मौसम के कारण जीरे की आपूर्ति कम होने के कारण भारत का जीरा निर्यात पर एकाधिकार है।
इलायची वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 1,360 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है और कीमतों में तेजी का रुझान बरकरार रह सकता है। पिछले कुछ महीनों से केरल में लगातार बारिश और बाढ़ के कारण फसल को नुकसान होने से आगामी दिनों में इलायची की उपलब्धता कम हो सकती है।
धनिया वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 5,065 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। पर्याप्त उत्पादन और अधिक आयात के कारण कैरी ओवर स्टॉक काफी अधिक हो गया है। धनिया की खपत बहुत अधिक नही हो रही है, जबकि ऐसी खबर है कि भारत द्वारा अप्रैल-जून अवधि में लगभग 7,400 टन धनिया, पाउडर और साबूत दोनों, का आयात किये जाने की संभावना है। (शेयर मंथन, 18 सितंबर 2018)
जीरा वायदा (अक्टूबर) की कीमतें स्थिरता के दायरे से बाहर निकल चुकी हैं और दो हफ्ते तक 19,640-19,500 के स्तर पर सहारा लेने के बाद मजबूती देखी जा रही है और कीमतों में 20,200-20,300 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। घरेलू और विदेशी खरीदारों की ओर से अधिक माँग के कारण कीमतों में तेजी का रुझान है। सीरिया और तुर्की जैसे देशों में इस वर्ष खराब मौसम के कारण जीरे की आपूर्ति कम होने के कारण भारत का जीरा निर्यात पर एकाधिकार है।
इलायची वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 1,360 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है और कीमतों में तेजी का रुझान बरकरार रह सकता है। पिछले कुछ महीनों से केरल में लगातार बारिश और बाढ़ के कारण फसल को नुकसान होने से आगामी दिनों में इलायची की उपलब्धता कम हो सकती है।
धनिया वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 5,065 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। पर्याप्त उत्पादन और अधिक आयात के कारण कैरी ओवर स्टॉक काफी अधिक हो गया है। धनिया की खपत बहुत अधिक नही हो रही है, जबकि ऐसी खबर है कि भारत द्वारा अप्रैल-जून अवधि में लगभग 7,400 टन धनिया, पाउडर और साबूत दोनों, का आयात किये जाने की संभावना है। (शेयर मंथन, 18 सितंबर 2018)
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