हल्दी वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में नरमी का रुझान बरकरार रहने की संभावना है।
इसकी कीमतों में 6,400 रुपये तक गिरावट हो सकती है। हाजिर बाजारों में सेंटीमेंट कमजोर है और स्टॉकिस्टों द्वारा मध्य और खराब वेराइटी की हल्दी की खरीदारी नही किये जाने के कारण हल्दी की कीमतों में प्रतिदिन गिरावट हो रही है। अभी तक हल्दी उत्पादन क्षेत्रों में मॉनसून अच्छा रहा है, जिससे हल्दी की उत्पादकता में बढ़ोतरी होने की संभावना है। शुरूआती आँकड़ों से पता चलता है कि इस वर्ष हल्दी का उत्पादन लगभग 75 से 80 लाख बैग होने का अनुमान है। वर्तमान समय में हल्दी का स्टॉक लगभग 28 लाख बैग है, जो वर्ष के अंत तक 5 से 7 लाख बैग तक बच सकता है। इस कारण आगामी वर्ष में हल्दी की कुल उपलब्धता लगभग 85 लाख बैग हो सकती है।
जीरा वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 18,500 रुपये तक नरमी रहने की संभावना है। बेहतर आवक के मुकाबले कमजोर माँग के कारण देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में जीरे की कीमतों में गिरावट हो रही है। गुजरात के ऊंझा में जीरे की कीमतों में 15-25 रुपये प्रति 20 किलो ग्राम की गिरावट हुई है, जबकि राजस्थान में 100-150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है। गुजरात के बाजारों में आवक 2,000 बैग से बढ़ कर 8,000 बैग हो गयी है।
2018-19 में कम उत्पादन अनुमान और अधिक माँग के कारण इलायची की कीमतें 17 महीने के उच्च स्तर पर पहुँच गयी हैं, लेकिन कीमतों में अभी भी बढ़ोतरी की संभावना है और कीमतें 1,450 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। इडुक्की के नीलामी केन्द्र पर इलायची की कीमतें 2,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गयी हैं। कारोबारियों को कुल उत्पादन में 60% से अधिक की गिरावट होने का अनुमान है। (शेयर मंथन, 25 सितंबर 2018)
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