पिछले कई हफ्तों से हल्दी की कीमतों में गिरावट हो रही थी, लेकिन पिछले हफ्ते कीमतों में अच्छी-खासी रिकवरी दर्ज की गयी।
अब उच्च स्तर पर कीमतों में स्थिरता काफी अहम है, क्योंकि फंडामेंटल के अनुसार अधिक बढ़त की संभावना नहीं है। दिसंबर के अंत तक निजामाबाद में नयी फसल की आवक से हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों पर दबाव पड़ सकता है और 7,000 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
खरीदारी के अभाव के कारण जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतें 18,250-18,100 रुपये तक लुढ़क सकती हैं। खरीदार नयी फसल की आवक का इंतजार कर रहे हैं और बुआई की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं। नवंबर के अंतिम हफ्ते तक राजस्थान में पिछले वर्ष की समान अवधि के 2.5 लाख हेक्टेयर की तुलना में 24% की बढ़ोतरी के साथ 3.1 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई है। लेकिन गुजरात में 10 दिसंबर तक जीरे की बुआई 2,68,368 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 3,11,366 हेक्टेयर हुई थी।
गुजरात में जीरे की बुआई पूरे जोर-शोर से नही हो पा रही है, लेकिन राज्य में बुआई के लिए जीरे की खरीदारी में पहले ही 10% की वृद्धि हो चुकी है। इसका कारण यह है कि राजस्थान के किसान और कारोबारी ऊंझा से बुआई के लिए जीरे की खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि गुजरात के बीज की उत्पादकता बेहतर होती है।
कम उत्पादन अनुमान के कारण धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों में 6,450 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ तेजी बरकरार रह सकती है। छिट-पुट बारिश और किसानों ने चना एवं गेहूँ जैसी लाभकारी फसलों की खेती की ओर रुख करने के कारण बुआई और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। (शेयर मंथन, 17 दिसंबर 2018)
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