एसएमसी कमोडिटीज के अनुसार इस हफ्ते में माँग को लेकर उहापोह के कारण काटॅन वायदा (जनवरी) की कीमतें 19,940 रुपये तक लुढ़क सकती हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्पष्ट रूझानों के कारण मिलें और नियार्तक या तो इतंजार कर रहें हैं या केवल आवश्यकतानसुार ही खरीदारी कर रहे हैं। सबकी नजर जनवरी के प्रारंभ में अमेरिका और चीन के अधिकारियों के बीच व्यापार को लेकर होने वाली वार्ता पर टिकी हुई हैं।
कच्चे तले की कीमतों में रिकवरी के कारण ग्वार समूह की कीमतों की गिरावट पर रोक लग सकती है। काराबारियों को उम्मीद है कि अमेरिका से ग्वारगम की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है। रूस के ऊर्जा मंत्री नोवाक के अनुसार 2019 की पहली छमाही में तेल बाजार में स्थिर रहने की संभावना और ओपेक के साथ सहयोग करने की घोषणा के बाद तेल की कीमतों को मदद मिली है। इस आधार पर ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,115 के स्तर पर सपोर्ट के साथ शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) होने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतों के 8,000 से ऊपर स्थिर रहने की संभावना है।
चना वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,200-4,100 रुपये तक गिरावट जारी रह सकती है। निकट भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त भंडार के कारण कारोबारियों और मिलों की ओर से कम खरीदारी होने से हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में गिरावट हुई है। नाफेड द्वारा खरीदे गये स्टॉक की मौजूदा कीमतों पर बिक्री से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। नाफेड ने कुल 27.24 लाख टन चना खरीदा था, जिसमें इस सीजन में 3.63 लाख टन की बिक्री की है और 23.61 लाख टन अभी भी शेष बचा है। इसके अतिरिक्त मौजूदा सीजन में चना का उत्पादन क्षेत्र पिछले वर्ष की समान अवधि के 62.65 लाख हेक्टर की तुलना में 89.36 लाख हेक्टर हो गया है। (शेयर मंथन, 31 दिसंबर 2018)
कच्चे तले की कीमतों में रिकवरी के कारण ग्वार समूह की कीमतों की गिरावट पर रोक लग सकती है। काराबारियों को उम्मीद है कि अमेरिका से ग्वारगम की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है। रूस के ऊर्जा मंत्री नोवाक के अनुसार 2019 की पहली छमाही में तेल बाजार में स्थिर रहने की संभावना और ओपेक के साथ सहयोग करने की घोषणा के बाद तेल की कीमतों को मदद मिली है। इस आधार पर ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,115 के स्तर पर सपोर्ट के साथ शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) होने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतों के 8,000 से ऊपर स्थिर रहने की संभावना है।
चना वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,200-4,100 रुपये तक गिरावट जारी रह सकती है। निकट भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त भंडार के कारण कारोबारियों और मिलों की ओर से कम खरीदारी होने से हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में गिरावट हुई है। नाफेड द्वारा खरीदे गये स्टॉक की मौजूदा कीमतों पर बिक्री से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। नाफेड ने कुल 27.24 लाख टन चना खरीदा था, जिसमें इस सीजन में 3.63 लाख टन की बिक्री की है और 23.61 लाख टन अभी भी शेष बचा है। इसके अतिरिक्त मौजूदा सीजन में चना का उत्पादन क्षेत्र पिछले वर्ष की समान अवधि के 62.65 लाख हेक्टर की तुलना में 89.36 लाख हेक्टर हो गया है। (शेयर मंथन, 31 दिसंबर 2018)
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