सोयाबीन वायदा जुलाई की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 3,650-3,900 रुपये के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है।
इस खरीफ सीजन में विदर्भ और मराठवाड़ा में किसानों के बीच बीजों के अंकुरण को लेकर चिंतायें है। बीज की गुणवत्ता प्रभावित हुई है क्योंकि पिछले साल जब सोयाबीन फसल की कटाई हो रही थी, तभी बारिश हुई थी। इसमें इस सीजन की बुआई के लिए निकाले गये बीज खराब हो गये।
सीबोट में, अमेरिकी सोयाबीन की कीमतें 8.608.80 डॉलर प्रति बुशल के दायरे में कारोबार करती रह सकती है। कारोबारी 30 जून को जारी होने यूएसडीए की वार्षिक उत्पादन क्षेत्रों और त्रैमासिक अनाज भंडार की रिपोर्ट को लेकर सतर्क रुख अपनायेंगे।
आगामी दिनों में, कीमतों को अमेरिकी सोयाबीन की निर्यात बिक्री से समर्थन मिलने की संभावना है जो अनुमान के अनुरूप हो रही है। अमेरिकी सोयाबीन की बुआई लगभग 70% पूरा होने, जिसे अच्छा से उत्कृष्ट कहा जाता है, से भी कीमतों की बढ़त पर रोक लग सकती है।
सरसों वायदा (जुलाई) की कीमतों को 4,600-4,550 रुपये के पास सहारा रहने की संभावना है क्योंकि मिलों की ओर से अभी भी माँग काफी अधिक है। इसके विपरीत, बढ़त की स्थिति में कीमतों को 4,755 रुपये के उच्च स्तर पर रोक लग सकती है क्योंकि हैफेड ने पहले खरीदे सरसों को टेंडर के माध्यम से खुले बाजार में बेचना शुरू कर दिया है।
सोया तेल वायदा (जुलाई) की कीमतों के 810-850 रुपये के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है और सीपीओ वायदा (जुलाई) की कीमतें 650-690 रुपये के दायरे में मजबूती दर्ज कर सकती है। इन खाद्य तेलों की माँग, एक-दूसरे का विकल्प होने के कारण, में रस्साकसी हो रही है क्योंकि घरेलू और साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोया तेल और पॉम ऑयल की कीमतों के बीच अंतर जून से कम हो रहा है। दूसरे शब्दों में, माँग सोया तेल से हटकर पॉम ऑयल की ओर स्थानांतरित हो सकती है, क्योंकि पॉम ऑयल की तुलना में सोया तेल की कीमतों में धीमी बढ़ोतरी हो रही है। (शेयर मंथन, 29 जून 2020)
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