कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 17,800-18,000 रुपये के दायरे में स्थिर कारोबार करने की संभावना है।
निचले राजस्थान में सीमित आवक के साथ मिलों की ओर से बढ़ती माँग के कारण कपास की कीमतों में 100 रुपये प्रति कैंडी की बढ़ोतरी हुई है। कपास की आवक बढ़ने की आशंका के बीच कीमतों में अधिक तेजी नहीं देखी जा रही है। सीमित खरीद के बीच कपास की कीमतें उत्तर भारत में स्थिर हैं लेकिन पंजाब, हरियाणा और ऊपरी राजस्थान में कपास का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन किसान कम दरों पर बाजार में आपूर्ति करने से हिचक रहे हैं। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) 1 अक्टूबर से नयी फसल की खरीद शुरू कर देगा। इस बीच कपास की कीमतें एमएसपी से काफी कम हैं। यह माना जा रहा है कि सीसीआई की खरीद शुरू होते ही आवक बढ़ जायेगी। आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतें 6 महीने के उच्च स्तर से 3.2% से अधिक हो गयी क्योंकि तूफान सैली से फसल के नुकसान की चिंताओं के कारण कीमतों को मदद मिली।
पिछले हफ्ते, नेफेड के पास कम होते स्टॉक के कारण चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 52 हफ्ते के उच्च स्तर 5,245 पर पहुँच गयी थी। अब कीमतों के 5,165 के पास सहारा के साथ 5,200 रुपये तक बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसके अलावा, नेफेड (पीएमजीकेवाई) के माध्यम से चना वितरित कर रहा है और बंफर स्टॉक के लिए 3 लाख टन आवंटित किये जाने की संभावना है। इसके अलावा, खबर है कि मध्य प्रदेश ने 2020-21 (जुलाई-जून) में तुअर, उड़द, और मूंग जैसे खरीफ दालों की खरीद के लिए मूल्य समर्थन योजना के तहत 11.6 रुपये खर्च करने की तैयारी कर रहा है।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) में 3,970 रुपये के आसपास के निचले स्तर से खरीदारी देखी जा सकती है और 4,050 रुपये तक बढ़ोतरी हो सकती है और ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 6,050-6,150 रुपये के दायरे में स्थिर कारोबार कर सकती है। वर्तमान परिदृश्य में, स्टॉकिस्ट निचले स्तर पर ग्वारसीड बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। मैन्युफैक्चर भी 6,200 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे ग्वारगम नहीं बेच रहे हैं। उन्हे उम्मीद हैं कि कम उत्पादन क्षेत्रों और खाद्य, कॉस्मेटिक और फार्मा उद्योगों की ओर से माँग बढ़ने के कारण जल्द ही कीमतें बढ़ेंगी। (शेयर मंथन, 15 सितंबर 2020)
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