कॉटन वायदा (अक्टूबर) बहुत अधिक खरीदारी वाले दायरे में है और यदि कीमतें 18,000 रुपये के स्तर के पास बाधा स्तर को पार नहीं कर पाती है तो हम 17,800-17,700 रुपये की ओर कुछ सुधर रुपये तक गिरावट देख सकते हैं।
ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि उत्तर भारत में फसल उत्कृष्ट है। अब तक की फसल की स्थिति अच्छी है और अधिक बारिश की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ है। दूसरी बात यह है कि उत्तर भारत के हाजिर बाजारों में नयी फसल की आवक शुरू हो गयी है और अक्टूबर में तेजी आने की संभावना है।
चना वायदा की कीमतों में प्रत्येक गिरावट के बाद निचले स्तर पर खरीदारी जारी रह सकती है क्योंकि आपूर्ति को लेकर चिंतायें हैं। मध्य प्रदेश से उड़द और मूंग की खड़ी फसल को नुकसान की खबरें भी आयी हैं। दूसरी बात यह है कि फसल को बाजार में पहुँचना बाकी है, जबकि आयात लाइसेंस जारी करने में देरी से भी कीमतों को मदद मिली है। कुल मिलाकर, अक्टूबर कॉन्टैंक्ट की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 5,070-5,150 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 4,000-4,050 के दायरे में सीमित दायरे कारोबार करने की उम्मीद है, जबकि ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 6,215-6,330 रुपये के दायरे में स्थिर कारोबार कर सकती है। राजस्थान और हरियाणा में विभिन्न ग्वारसीड और ग्वारगम बाजारों में सुस्ती का रुझान है। हाजिर बाजार में कारोबारी सतर्क हैं, और अधिक दरों पर खरीदारी नहीं कर रहे हैं क्योंकि वे आने वाले दिनों में आवक में तेजी आने की उम्मीद कर रहे हैं। दूसरे, माँग अभी भी ग्वारगम उत्पादकों के लिए एक चिंता का विषय है। दूसरी ओर, मौसम की स्थिति पैनी नजर रहेगी ग्वारगम की फसल को प्रगति के वर्तमान चरण में बारिश की आवश्यकता है। यदि राजस्थान और हरियाणा के ग्वारगम उत्पादक क्षेत्रों में अगले कुछ दिनों तक उच्च तापमान और शुष्क जलवायु बनी रहती है, तो फसल और उत्पादकता प्रभावित होगी। (शेयर मंथन, 21 सितंबर 2020)
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