कॉटन वायदा (अक्टूबर) बहुत अधिक खरीदारी वाले दायरे में है और यदि कीमतें 18,000 रुपये के स्तर के पास अड़चन स्तर को पार नहीं कर पाती है तो हम 17,800-17,700 की ओर कुछ सुधर रुपये तक गिरावट देख सकते हैं।
ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि उत्तर भारत में फसल उत्कृष्ट है। अब तक की फसल की स्थिति अच्छी है और अधिक बारिश की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ है। दूसरी बात यह है कि उत्तर भारत के हाजिर बाजारों में नयी फसल की आवक शुरू हो गयी है और अक्टूबर में तेजी आने की संभावना है।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 5,070-5,170 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। खबरों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने सोमवार को मार्केटिंग सीजन 2021-22 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी। चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़कर 5,100 रुपये क्विंटल हो गया है।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की की कीमतें यदि 3,960 रुपये के सहारा स्तर से नीचे टूटती है तो 3,900 रुपये तक गिरावट हो सकती है जबकि ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 6,100-6,050 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है। राजस्थान और हरियाणा में विभिन्न ग्वारसीड और ग्वारगम बाजारों में सुस्ती का रुझान है। हाजिर बाजार में कारोबारी सतर्क हैं, और अधिक दरों पर खरीदारी नहीं कर रहे हैं क्योंकि वे आने वाले दिनों में आवक में तेजी आने की उम्मीद कर रहे हैं। दूसरे, माँग अभी भी ग्वारगम उत्पादकों के लिए एक चिंता का विषय है। दूसरी ओर, मौसम की स्थिति पैनी नजर रहेगी ग्वारगम की फसल को प्रगति के वर्तमान चरण में बारिश की आवश्यकता है। यदि राजस्थान और हरियाणा के ग्वारगम उत्पादक क्षेत्रों में अगले कुछ दिनों तक उच्च तापमान और शुष्क जलवायु बनी रहती है, तो फसल और उत्पादकता प्रभावित होगी। (शेयर मंथन, 22 सितंबर 2020)
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