कॉटन वायदा (नवम्बर) की कीमतों के 19,850-20,100 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
सबसे पहले, वर्तमान वर्ष 2020-21 में भारत में कपास का उत्पादन लगभग 4 लाख बेल (170 किलोग्राम का) घटकर 356 लाख बेल होने की संभावना है, जबकि पिछले साल 360 लाख बेल उत्पादन हुआ था। कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का अनुमान लगाया है कि कपास की खपत 330 लाख बेल होने का अनुमान है, जो पिछले कपास सीजन के 250 लाख बेल की तुलना में 80 लाख बेल अधिक है। दूसरी ओर कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने 2020-21 सीजन के लिए कपास खरीद शुरू कर दी है और लगभग 100 लाख बेल की खरीद के लिए तैयार है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और बांग्लादेश सरकार के बीच बहुप्रतीक्षित और लंबे समय से लंबित निर्यात समझौता अब अपने अंतिम चरण में है और दिसंबर तक लगभग 15 लाख बेल के निर्यात पर करार हो सकता है।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 5,180-5,150 रुपये तक गिरावट हो सकती है। वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के अनुसार, नेफेड ने पीएसएफ बफर स्टॉक को 8 लाख टन अनंतिम रूप से ट्रंसफर करने के बाद सभी शाखाओं से चना (पीएसएस रबी- 2020) की बिक्री शुरू करने की खबरों से कीमतों में नरमी का सेंटीमेंट है।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 4,040 रुपये तक गिरावट हो सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतों में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट हो सकती है और कीमतें 6,100-6,050 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। वर्तमान परिदृश्य में, कमजोर माँग और ग्वारसीड की भारी आपूर्ति से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। जयपुर और जोधपुर में ग्वारगम की कीमतें 125 रुपये की गिरावट हुई हैं । जोधपुर में ग्वारगम स्पिलिट की कीमतें कम होकर 6,150 रह गयी है जबकि जयपुर में ग्वारगम स्पिलिट की कीमतें कम होकर 6,200 रुपये रह गयी है (शेयर मंथन, 19 नवंबर 2020)
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