कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतों में तेजी का सेंटीमेंट है और कीमतें 21,000-21,300 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
इसका पहला कारण यह है कि भारतीय कपास निगम ने बेस प्राइस में 300 रुपये प्रति कैंडी के हिसाब से बढ़ोतरी की है। दूसरी बात यह है कि अमेरिकी कॉटन आउटलुक 2020-21 के अनुसार अधिक निर्यात, कम उत्पादन और इस महीने के अंत में अंतिम स्टॉक के कम होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी का सेंटीमेंट है। अमेरिकी कपास का निर्यात 2,50,000 बेल हुआ है क्योंकि विश्व स्तर पर अधिक माँग के कारण निर्यात बढ़ा है। कम उत्पादन और अधिक माँग के कारण 2020-21 में अमेरिकी अंतिम स्टॉक पिछले महीने के सापेक्ष 1.1 मिलियन बेल कम है। ट्रेड पब्लिकेशन द्वारा किये गये अमेरिकी उत्पादकों के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार अमेरिकी फसल अगले फसल वर्ष में लगभग 5% कम हो सकती है।
ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों के 3,880-3,950 रुपये के दायरे में मजबूती दर्ज करने की उम्मीद है, जबकि ग्वारगम वायदा (फरवरी) की कीमतें 6,070-6,170 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। ग्वारसीड की आवक के पिछले दिनों की तुलना में कम रहने के आसार हैं। जोधपुर में मिलों ने 3,900-3,940 रुपये प्रति क्विंटल पर ग्वारसीड की खरीदारी बढ़ा दी है क्योंकि उन्हें ग्वारगम स्पिलिट की बेहतर माँग की उम्मीद है। बेहतर माँग के कारण ग्वारगम और चूरी की कीमतों में भी हाल के दिनों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अन्य पशु आहार से प्रतिस्पर्ध का भी सामना करना पड़ रहा है।
चना वायदा (जनवरी) की कीमतें यदि 200 दिनों की साप्ताहिक औसत 4,400 रुपये से नीचे टूट जाती है तो 4,350-4,300 रुपये तक गिरावट हो सकती है। प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों के मौसम में सुधार से दबाव और सीमित माँग के कारण कीमतों पर दबाव रह सकता है। मौजूदा रबी मौसम में उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोतरी हो रही है और दूसरी ओर नेफेड सक्रिय रूप से चना स्टॉक को बेचने की कोशिश कर रहा है। (शेयर मंथन, 18 जनवरी 2021)
Add comment