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हल्दी में तेजी, जीरे में मजबूती की संभावना - एसएमसी

हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में तेजी देखी जा रही है और इस कमोडिटी में निचले स्तर पर खरीदारी का सुझाव है।

क्योंकि इसकी कीमतों के 6,400-6,500 रुपये के स्तर पर पहुँचने की क्षमत है। हाजिर बाजारों के व्यापारियों के अनुसार, हल्दी की कीमतें प्राथमिक कृषि बाजारों में माँग के अनुसार बढ़ रही हैं। इस साल उत्पादन कम होने की आशंका है। सीजन 2019-20 (जुलाई-जून) के दौरान, भारत में हल्दी का उत्पादन पिछले साल के 9.61 लाख टन की तुलना में 9.46 लाख टन होने का अनुमान है, बावजूद इसके कि उत्पादन क्षेत्र 4,000 हेक्टेयर की बढ़ोतरी के साथ 2.57 लाख हेक्टेयर हो गया है। हल्दी की नयी फसल इस महीने की शुरुआत से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बाजारों में पहुँचने लगी। है जबकि यह देश के अन्य हिस्सों में एक महीने में शुरू हो जायेगी। निर्यात से भी हल्दी की कीमतों को बढ़ने में मदद मिली है।
जीरा वायदा (मार्च) की कीमतों के 13,300-13,450 रुपये के दायरे में मजबूत होने की उम्मीद है। हाजिर बाजार में, जीरा की सभी किस्मों की कीमतें स्थिर हैं। व्यापारी गुजरात में चल रही बुआई पर ध्यान दे रहे हैं। मौसम की स्थिति सहायक बनी हुई है और व्यापारी अगले महीने से नयी आवक से पहले थोक बाजारों में बड़ी मात्रा में खरीदारी करने से बच रहे हैं।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 6,350 रुपये के पास प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है और कीमतों की बढ़त पर रोक लगी हुई है। आने वाले दिनों में इसी तरह की प्रवृत्ति देखी जा सकती है। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की मंडियों में धनिया में फसल की आवक हो रही है। धनिया की नयी फसल में नमी की मात्रा 12-14% है, जिसके कारण इसकी कीमत 5,000-5,500 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश में नये धनिया की आवक के साथ कीमतों में गिरावट हुई है। राजस्थान की मंडियों में दक्षिण भारतीय मसाला मिलों की ओर से माँग का इंतजार किया जा रहा है। (शेयर मंथन, 27 जनवरी 2021)

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